अमेरिका ही कर सकता है ठिकाने को बर्बाद
अमेरिका का मेन टारगेट ही ईरान की फोर्डो न्यूक्लियर साइट फोर्डो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (FFEP) को ध्वस्त करना है। इसे शहीद अली मोहम्मदी न्यूक्लियर फैसिलिटी भी कहते हैं। कहा जा रहा है कि ईरान की फोर्डो न्यूक्लियर साइट को तबाह करना आसान नहीं है। इस पर सिर्फ अमेरिका ही हमला कर सकता है। अमेरिका ही इस परमाणु ठिकाने को तहस नहस कर सकता है। इसके लिए अमेरिका के पास दुनिया का सबसे खतरनाक B-2 स्पिरिट बॉम्बर और सबसे पावरफुल बम बंकर बस्टर बम है। अमेरिका ने इसी बॉम्बर से बीती रात फोर्डो पर बंकर बस्टर बम गिराए और इसके 6 बंकर ध्वस्त कर दिए।कितनी गहराई में बनी है न्यूक्लियर साइट?
अमेरिका का टारगेट ईरान की फोर्डो न्यूक्लियर साइट है। इजरायल का टारगेट भी ईरान के इस परमाणु ठिकाने को पूरी तरह तबाह करना है, लेकिन इजरायल के लिए ऐसा करना आसान नहीं था। अमेरिका इस परमाणु ठिकाने का नामोनिशान मिटा सकता है, क्योंकि फोर्डो परमाणु ठिकाना एक पहाड़ी के 295 फीट (90 मीटर) की गहराई में बना है। इस ठिकाने की बनावट ऐसी है कि इस तक पहुंचना आसान नहीं है। इसकी लोकेशन भी ट्रेस करनी आसान नहीं है। इस तक पहुंचने का रास्ता 5 सुरंगों को काटकर बनाया गया है। इस तक पहुंचने का रास्ता, इसके बंकर और मेन साइट सबकुछ पहाड़ी के अंदर ही बना है। फोर्डो परमाणु ठिकाने का कंट्रोल परमाणु ऊर्जा संगठन (AEOI) के हाथ में है। इसमें यूरेनियम प्यूरिफिकेशन किया जाता है।अमेरिका कौन-सा बम गिरा रहा साइट पर?
फोर्डो परमाणु ठिकाने पर अमेरिका अपने B-2 स्पिरिट बॉम्बर से दुनिया का सबसे शक्तिशाली बम GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर बंकर बस्टर बम गिरा सकता है। यह बम 300 मीटर की गहराई तक जाकर हमला का सकता है। यह बम अंदर जाकर खुद एक्टिवेट हो जाता है और फटकर पूरे ठिकाने को ध्वस्त कर सकता है। यह बम और इसे गिराने वाला बॉम्बर सिर्फ अमेरिका के पास है, इसलिए सिर्फ अमेरिका ही इस परमाणु ठिकाने को तबाह करने की ताकत रखता है।क्या हैं न्यूक्लियर साइट की खासियतें?
फोर्डो न्यूक्लियर साइट को अमेरिका के अलावा कोई भी देश हवाई हमला करके तबाह नहीं सकता है। यह न्यूक्लियर प्लांट 54000 वर्ग फीट एरिया में फैली है। इस प्लांट के अंदर 2 संवर्धन हॉल बने हैं। 3000 IR-1 सेंट्रीफ्यूज लगे हैं, जिनसे से 1044 JCPOA का इस्तेमाल आइसोटोप प्रोडक्शन में होता है। साल 2024 में सेंट्रीफ्यूज की संख्या बढ़ाई गई थी। साल 2012 में प्लांट में मेडिकल सेक्टर के लिए 20% कन्वर्टेड यूरेनियम का प्रोडक्शन शुरू किया गया। मार्च 2023 में इस प्लांट में 83.7% शुद्धता वाला यूरेनियम बनाया गया। इतनी शुद्धता वाला यूरेनियम परमाणु हथियार (90%) बनाने के लिए चाहिए। इस प्लांट की सुरक्षा के लिए ईरान ने साल 2016 में यहां रूस से खरीदा गया S-300 मिसाइल सेफ्टी सिस्टम तैनात कर दिया था।