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76 साल बाद मिले भाई-बहन, भारत-पाकिस्तान के बंटवारे में हुए थे जुदा, अनूठी है मिलन की कहानी

Two Cousins Who Separated By Partition From India Pakistan Reunite After 76 Years: पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक करतापुर साहिब से एक सुखद खबर आई है। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय एक दूसरे से जुदा हुए भाई-बहन रविवार को 76 साल बाद मिले। जब दोनों मिले तो भावनाओं को ज्वार उठने लगा। चेहरे पर खुशियां थीं, लेकिन […]

Gurdwara Darbar Sahib
Two Cousins Who Separated By Partition From India Pakistan Reunite After 76 Years: पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक करतापुर साहिब से एक सुखद खबर आई है। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय एक दूसरे से जुदा हुए भाई-बहन रविवार को 76 साल बाद मिले। जब दोनों मिले तो भावनाओं को ज्वार उठने लगा। चेहरे पर खुशियां थीं, लेकिन आंखों से आंसू बहने लगे। दोनों का न तो अब धर्म एक है न ही एक देश। भाई-बहन के मिलन की कहानी भी अनूठी है। दोनों की मुलाकात सोशल मीडिया के यूट्यूब प्लेटफॉर्म के जरिए संभव हो सकी। एक पाकिस्तानी अधिकारी ने सोमवार को तस्वीरें पोस्ट की हैं। इवैक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) के अधिकारी ने सोमवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि दोनों भाई-बहनों के पुर्नमिलन में सहायता की गई। उन्हें लंगर और मिठाई खिलाई गई।

दंगे हुए तो बिछड़ गए थे दोनों

दरअसल, मोहम्मद इस्माइल और सुरिंदर कौर की उम्र इस समय 80 साल से अधिक है। मोहम्मद इस्माइल लाहौर से करीब 200 किमी दूर पंजाब के साहीवाल जिले से हैं। जबकि सुरिंदर कौर जालंधर की रहने वाली हैं। भारत-पाकिस्तान के विभाजन से पहले उनका परिवार जालंधर जिले के शाहकोट शहर में रह रहा था। जब विभाजन के समय दंगे फैले तो दोनों अलग हो गए।

ऑस्ट्रेलिया के सरदार ने निभाया अहम रोल

मोहम्मद इस्माइल की कहानी को एक पाकिस्तानी पंजाबी यूट्यूब चैनल ने पोस्ट की। यह पोस्ट ऑस्ट्रेलिया के एक सरदार मिशन सिंह तक पहुंची तो उन्होंने मोहम्मद इस्माइल से संपर्क किया और भारत में अपने लापता परिवार के सदस्यों के बारे में बताया। सरदार मिशन सिंह ने मोहम्मद इस्माइल को सुरिंदर कौर का टेलीफोन नंबर दिया। जिसके बाद दोनों ने बात की और करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से गुरुद्वारा दरबार साहिब में मिलने का फैसला किया।

पाकिस्तान के पंजाब में करतापुर कॉरिडोर 

करतारपुर कॉरिडोर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है। यह एक वीजा मुक्त सीमा पार और धार्मिक गलियारा है, जो सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के अंतिम विश्राम स्थल को भारत के पंजाब राज्य में गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक मंदिर से जोड़ता है। भारतीय सिख तीर्थयात्री 4 किमी लंबे गलियारे तक पहुंच सकते हैं और बिना वीजा के दरबार साहिब के दर्शन कर सकते हैं। यह भी पढ़ेंबांग्लादेश में दो ट्रेनों की भीषण टक्कर, 17 की मौत, सामने आई ड्राइवर की गलती


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