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जिस युवक को एडमिशन देने से 16 यूनिवर्सिटीज ने किया इनकार, Google ने उसे इस बड़े पद पर दी नौकरी

Job in Google: स्टेनली झोंग नाम के जिस युवक को 16 यूनिवर्सिटीज ने 12वीं के बाद ग्रेजुएशन में एडमिशन देने से मना कर दिया उसे दुनिया की शीर्ष आईटी कंपनी Google ने भारी-भरकम सैलरी पर बड़े पद पर नौकरी का प्रस्ताव दिया है।

स्टेनली झोंग नाम के जिस युवक को 16 यूनिवर्सिटीज ने 12वीं के बाद ग्रेजुएशन में एडमिशन देने से मना कर दिया। (फोटो- साभार सीबीसी-7)
Job in Google: प्रतिभा किसी सर्टिफिकेट की मोहजात नहीं होती यह कहावत तो आपने सुनी होगी, लेकिन आज एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने इस पर मुहर भी लगा दी है। चीन के जिस युवक को 12वीं पास करने का बाद ग्रेजुशन में एडमिशन देने से 16 यूनिवर्सिटीज ने रिजेक्ट कर दिया उब उसी युवक को Google ने भारी-भरकम सैलरी के साथ ही बड़े पद पर नौकरी देने का प्रस्ताव दिया है। डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में और अधिक नवाचार को बढ़ावा देने के लिए, Google, Microsoft ने युवक को यह नौकरी ऑफर की है। गूगल में इस हालिया भर्ती ने मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है। हाई स्कूल के बाद स्नातक के लिए स्टेनली ने जिन 18 कॉलेजों में आवेदन किया, उनमें से 16 ने उसे रिजेक्ट कर दिया था। अब स्टेनली झोंग को Google से नौकरी का प्रस्ताव मिला है। यह भी पढ़ें : तलाक की पहल करने वाली मुस्लिम महिला गुजारा भत्ता लेने की हकदार है या नहीं…पढ़ें हाईकोर्ट की विशेष टिप्पणी स्टेनली झोंग कौन है? कैलिफोर्निया के पालो ऑल्टो के छात्र स्टैनली झोंग को 1600 में से 1590 का SAT स्कोर होने के बावजूद एमआईटी, स्टैनफोर्ड और अन्य विश्वविद्यालयों ने प्रवेश देने से मना कर दिया। इसके बाद युवक ने अपने गृहनगर में खुद का स्टार्टअप शुरू किया। इसके बाद उनको गूगल से यह आफर मिला है। स्टेनली झोंग ने एबीसी-7 मीडिया को बताया कि मैंने ग्रेजुएशन में एडमिशन के लिए कई यूनिवर्सिटीम में अप्लाई किया था, लेकिन उनमें से अधिकतर ने मुझे रिजेक्ट कर दिया। जब तक Google ने उन्हें सॉफ़्टवेयर डेवलपर के रूप में नौकरी नहीं दी तब तक उन्हें कई अस्वीकृतियां मिलीं। स्टेनली झोंग ने कहा कि नौकरी मिलने के बाद मैंने इस सोमवार से माउंटेन व्यू, कैलिफ़ोर्निया में काम करना शुरू कर दिया है। वहीं स्टैनली को टेक्सास विश्वविद्यालय और मैरीलैंड विश्वविद्यालय ने प्रवेश के लिए सहमति दी लेकिन नौकरी ज्वाइन करने के लिए उन्हें प्रवेश छोड़ना पड़ा। स्टेनली झोंग की कहानी इतनी लोकप्रिय हुई कि 28 सितंबर को हाउस कमेटी ऑन एजुकेशन एंड द वर्कफोर्स के समक्ष गवाही के दौरान एक गवाह ने इसका उल्लेख किया। सुनवाई का उद्देश्य यह जांचना था कि जून में कॉलेज प्रवेश में भेदभाव को गैरकानूनी घोषित करने के अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विश्वविद्यालय की प्रथाएं कैसे प्रभावित हो रही हैं। यह भी पढ़ें :  सरकार का युवाओं के लिए बड़ा फैसला, केंद्रीय कैबिनेट ने ‘मेरा युवा भारत’ को दी मंजूरी


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