Saddam Hussein Death Anniversary: आज के दिन 30 दिसंबर 2006 को दुनिया के उस क्रूर तानाशाह को फांसी पर चढ़ा दिया गया था, जिसके खिलाफ जो भी आवाज उठाता था, उसे कुचल दिया जाता था। नाम है सद्दाम हुसैन, जिसे अमेरिकी सेना ने उसके बिल में घुसकर बाहर निकाला था और फांसी पर चढ़ा दिया था। वह इतना क्रूर था कि अमेरिका को भी उससे डर लगता था, वहीं कुछ लोगों के लिए वह मसीहा भी था, लेकिन दुनिया की बड़ी आबादी के लिए वह क्रूर था, क्योंकि वह अपने दुश्मनों को माफ नहीं करता था। अपनी खिलाफत तो उसे बर्दाश्त ही नहीं थी। इसलिए एक बार उसने अपनी हत्या की साजिश रचने वालों का नरसंहार करा दिया था। उसने इराक के दुजैल शहर में साल 1982 में 148 शियाओं को मरवा दिया था। इसी मामले में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी।
जिस दिन एक तानाशाह मरा, उस दिन सद्दाम जन्मा
सद्दाम हुसैन का जन्म 28 अप्रैल 1937 को इराक के बगदाद में स्थित तिकरित के एक गांव में हुआ था और इसी दिन दुनिया के एक तानाशाह 28 अप्रैल 1937 की मौत हुई थी। सद्दाम ने लॉ की थी। 1957 में सिर्फ 20 साल की उम्र में सद्दाम बाथ पार्टी का मेंबर बन गया था। धीरे-धीरे वह इस पार्टी का प्रमुख बन गया। 1968 में इराक में हुए सैन्य विद्रोह में सद्दाम की अहम भूमिका था, जिस वजह से उसकी पार्टी सत्ता में आ गई। 1979 में सद्दाम ने जनरल अहमद हसन अल-बक्र को इस्तीफा देने को मजबूर किया और फिर वह 31 साल की उम्र में ही इराक का 5वां राष्ट्रपति बन गया। जुलाई 1979 से अप्रैल 2003 तक वह इराक पर राज करता रहा। सद्दाम अमेरिका का विरोधी था। उसने शियाओं और कुर्दों के खिलाफ भी अभियान चलाया था। सद्दाम ने इराक में करीब ढाई लाख लोग मरवाए थे।
<
फांसी के वक्त नकाब पहनने से किया इनकार
सद्दाम ने ईरान पर हमला किया, जो 8 साल चला। 1988 में युद्ध विराम हुआ। 1990 में तेल के लिए सद्दाम ने कुवैत पर हमला किया और सिर्फ 6 घंटों में उसे कब्जा लिया। अमेरिका ने उसे कुवैत खाली करने को कहा, लेकिन सद्दाम ने कुवैत को इराक का 19वां जिला घोषित कर दिया। इसके बाद उसने सऊदी अरब बॉर्डर पर इराकी सेना तैनात करने का आदेश दिया। अमेरिका ने 28 देशों के साथ मिलकर कुवैत को इराक से आजाद कराया। इसके बाद अमेरिका ने सद्दाम पर शिकंजा कसना शुरू किया। 2003 में अमेरिका ने इराक पर हमला किया। करीब 20 दिन में सद्दाम की सरकार गिर गई, लेकिन वह हाथ नहीं आया। 13 दिसंबर 2003 को अमेरिकी सेना ने उसे खोज निकाला और उसे फांसी की सजा सुनाई। 69 साल की उम्र में 30 दिसंबर 2006 को सद्दाम को फांसी पर लटका दिया गया, लेकिन सद्दाम कमी फांसी भी चर्चित हुई, क्योंकि सद्दाम ने बिना नकाब पहने फांसी ली थी और फांसी के समय उसका चेहरा देखने लायक था।
सद्दाम ने लिखवाई थी अपने खून से कुरान
सद्दाम हुसैन का एक किस्सा दुनियाभर में मशहूर था कि अल्लाह के प्रति अपनी कृतज्ञता जताने के लिए उसने अपने 27 लीटर खून को स्याही बना दिया। उस खून रूपी स्याही से उसने कुरान के सभी 114 अध्यायों को 605 पन्नों पर लिखवाया, जिन्हें शीशे में सजा कर रखा गया था। सद्दाम हुसैन की जीवनी लिखने वाले कॉन कफलिन ने भी इस खून से लिखी कुरान का जिक्र किया। इस कुरान को बगदाद में एक मस्जिद में रखा गया था। सद्दाम को फांसी देने के बाद इस कुरान को पब्लिक के सामने रखने पर बैन लगा दिया गया था। खाड़ी युद्ध के बाद बगदाद में 5 स्टार होटल अल रशीद बनवाया गया। इस होटल के मुख्य दरवाजे पर सद्दाम ने अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश की तस्वीर बनवाई। होटल में जो भी आता था, उसे तस्वीर पर पैर रखकर जाना पड़ता था। तस्वीर के साथ अंग्रेजी और अरबी में कैप्शन दिया गया- 'बुश इज क्रिमिनल'। 2003 में इराक पर कब्जे के बाद अमेरिकी सेना ने इस तस्वीर को हटवा दिया था।
यह भी पढ़ें: पौने 2 साल…674 दिन से रूस-यूक्रेन में जारी जंग आखिर कब होगी खत्म? 2024 में हो जाएगा फैसला!