Russia-North Korea Military Cooperation Threat To Global Security : रूस और उत्तर कोरिया के बीच पिछले साल सैन्य सहयोग रिन्यू हुआ था। इसे लेकर कई विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि इससे आने वाले वर्षों में वैश्विक सुरक्षा पर खतरा बढ़ सकता है। यह बात वॉइस ऑफ अमेरिका की एक रिपोर्ट में कही गई है। बता दें कि यूक्रेन के खिलाफ रूस की जंग को दो साल होने वाले हैं। ऐसे में मॉस्को ने उत्तर कोरिया से हथियारों को लेकर मदद मांगी है। बदले में रूस ने सुझाव दिया है कि वह ऐसे हथियारों को विकसित करने में मदद करेगा जिनकी जरूरत प्योंगयांग को है। इनमें एक जासूसी सैटेलाइट भी है।
28 नवंबर को उत्तर कोरिया ने दावा किया था कि इसने धरती के ऑर्बिट में एक सैटेलाइट लॉन्च की थी जिसने अमेरिका के महत्वपूर्ण प्वाइंट्स की तस्वीरें ली हैं। इनमें उत्तर कोरिया ने न्यूपोर्ट न्यूज शिपयार्ड, व्हाइट हाउस और पेंटागन जैसी अहम जगहों की तस्वीरें भी होने की बात कही थी।
रूस के सहयोग से लॉन्च की सैटेलाइट
दूसरी ओर, दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी का मानना है कि उत्तर कोरिया इस सैटेलाइट को केवल इस वजह से लॉन्च कर पाया था क्योंकि उसे रूस की ओर से तकनीकी सहयोग मिल रहा था। उसकी मई और अगस्त में सैटेलाइट लॉन्चिंग की कोशिशें असफल साबित हुई थीं।
इसे ताईवान और ऑस्ट्रेलिया समेत ब्रिटेन और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों ने भी अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। फ्रांस ने कहा था कि इस तरह के एक्शन क्षेत्र में अस्थिर करने वाली गतिविधियों का कारण बन रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रिजॉल्यूशन का उल्लंघन हैं।
चीन इन सबसे बिल्कुल भी चिंतित नहीं
फ्रांस की विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना ने 23 नवंबर को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से बीजिंग में मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि हमें डर है कि रूस उत्तर कोरिया के फायदे के लिए काम कर रहा है। हालांकि, चीन ने उत्तर कोरिया के सैटेलाइट लॉन्च की निंदा नहीं की है।
दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में स्थित अमेरिकी दूतावास में साल 2018 से 2021 तक डिप्टी चीफ मिशन रहे रॉबर्ट रैप्सन का कहना है कि बीजिंग इन घटनाओं से बिल्कुल चिंतित नहीं है। बल्कि यह भी संभव है कि वह इन घटनाक्रमों को अपने लिए फायदेमंद समझ रहा हो।
27 नवंबर को हुई सुरक्षा परिषद की बैठक में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा था कि उत्तर कोरिया का सैटेलाइट लॉन्च परमाणु हथियारों के डिलिवरी सिस्टम को एडवांस करने का हिस्सा था। इसमें उत्तर कोरिया ने प्रतिबंधित बैलिस्टिक मिसाइल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया था। इससे वैश्विक सुरक्षा पर खतरा बढ़ा है।
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