Peregrine-1 चांद पर उतरने से पहले ही लड़खड़ाया, जानें कैसे फेल हुआ अमेरिका का मिशन मून?
नासा अमेरिका ने 52 साल बाद कोई मून मिशन लॉन्च किया था, लेकिन वह फेल हो गया।
NASA America Mission Moon Latest Update: दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक अमेरिका का बहुत बड़ा सपना टूट गया है, क्योंकि अमेरिका का मिशन मून फेल होता नजर आ रहा है। अमेरिका ने मंगलवार को ऐतिहासिक मून मिशन एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी का पेरेग्रीन-1 स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किया था। यह 23 फरवरी को चंद्रमा पर उतरने वाला था, लेकिन लॉन्च होने के 24 घंटे के अंदर ही मिशन फेल होने की कगार पर पहुंच गया है, क्योंकि स्पेस्क्राफ्ट से तेल लीक हो रहा है। ईंधन रिसाव के कारण पेरेग्रीन-1 के चंद्रमा पर उतरने की 'कोई संभावना नहीं' है। भारतीय समयानुसार मंगलवार दोपहर 12:48 बजे फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से लॉन्च किया गया था। अमेरिका की ही एस्ट्रोबोटिक कंपनी ने पेरेग्रीन-1 को बनाया और यूनाइटेड लॉन्च अलायंस के वल्कन सेंटौर रॉकेट में इसे चांद पर भेजा गया, लेकिन यह सपना पूरा होने के आसार नहीं।
कई हस्तियों के अवशेष और DNA चांद पर भेजे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका ने 52 साल बाद कोई स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा पर भेजा है। इससे पहले 1972 में अमेरिकी ने अपने स्पेसक्राफ़्ट अपोलो-17 मिशन को चांद पर उतारा था। पेरेग्रीन-1 सक्सेसफुली लॉन्च हुआ था, लेकिन स्पेस में जाते ही यह सेफ मोड में चला गया और टीम को उससे सिग्नल मिलने बंद हो गए। इसके लैंडर में नासा ने कई वैज्ञानिक उपकरण और जॉर्ज वाशिंगटन, जीन रोडडेनबेरी, आर्थर सी क्लार्क जैसी हस्तियों के अवशेष भेजे हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी का DNA भी चांद पर भेजा गया है। पेरेग्रीन-1 में जूते के डिब्बे के आकार का रोवर, फिजिकल बिटकॉइन, जापान लूनर ड्रीम कैप्सूल भी है, जिसके अंदर दुनियाभर के 1.85 लाख बच्चों के मैसेज हैं। , लेकिन स्पेसक्राफ्ट इस स्थिति में भी नहीं है कि वह अपनी बैटरी चार्ज करने के लिए सूर्य की तरफ जा सके।
चांद के रहस्य उजागर करने गया था पेरेग्रीन-1
दुर्भाग्य से, अब मिशन की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोई संभावना नहीं है। पेरेग्रीन-1 को कुछ ऐसा डेटा वहां से इकट्ठा करना था, जिससे भविष्य में चंद्रमा पर लैंडिंग करने में काफी मदद मिलती। परेग्रीन-1 में 15 पेलोड हैं, जिनमसें से 5 अकेले नासा के हैं और प्रत्येक का वजन करीब 60 ग्राम, चौड़ाई 12 सेंटीमीटर है। परेग्रीन-1 को चंद्रमा पर पानी के मॉलिक्यूल्स के बारे में पता लगाना था। लैंडर के चारों ओर रेडिएशन और गैस की मौजूदगी का पता लगाना था, ताकि यह पता चल सके कि सोलर रेडिएशन का चांद की सतह क्या प्रभाव पड़ता है? परेग्रीन-1 के जरिए मिशन मून नासा की कॉमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेज (CLPS) पहल का हिस्सा है, जिसका मकसद चांद के रहस्य उजागर करना था, लेकिन किस्मत, टेक्नोलॉजी और परेग्रीन-1 के उपकरण साथ नहीं दे रहे हैं।
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