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रहस्यमयी जीव को ‘Fiji Marmaid’ के नाम से मिली पहचान, अब NKU के छात्र सुलझाएंगे गुत्थी

‘फिजी मरमेड’ के तौर पर पहचान पाने वाले इस अजीबोगरीब प्राणी के अवशेष को लेकर सभी लोग चिंतित हैं। वहीं, दुनिया भर के वैज्ञानिकों को भी इन अवशेषों ने हैरानी में डाल रखा है।

NKU students solve mystery of Fiji Mermaid
NKU students solve mystery of Fiji Mermaid: अक्सर हमारे आसपास कुछ ऐसी चीजें होती हैं, जिनके बारे में बता पाना या जानकारी जुटा पाना बेहद मुश्किल होता है। ऐसे ही एक रहस्यमयी प्राणी के अवशेष सामने आए हैं, जिसके बारे में कुछ बता पाता लोगों के लिए बेहद मुश्किल हो रहा है। हालांकि, अब नॉर्थ केंटुकी विश्वविद्यालय (एनकेयू) के रेडियोलॉजी विभाग के छात्र इस अजीबोगरीब प्राणी के अवशेष पर प्रयोग कर रहे हैं, जिससे ये उम्मीद लगाई जा रही है कि आने वाले वक्त में इस प्राणी के बारे में कुछ पता लगाया जा सके।

‘फिजी मरमेड’ के नाम से मिली पहचान

‘फिजी मरमेड’ के तौर पर पहचान पाने वाले इस अजीबोगरीब प्राणी के अवशेष को लेकर सभी लोग चिंतित हैं। वहीं, दुनिया भर के वैज्ञानिकों को भी इन अवशेषों ने हैरानी में डाल रखा है। अब सभी वैज्ञानिक ने जानने की कोशिश में लगे हैं कि आखिर ये क्या बला है, जिसके ऊपर का भाग किसी बंदर जैसा है, कुछ भाग किसी मछली जैसा और बाकी का भाग किसी सरीसृप जैसा लगता है।

अमेरिकी नाविक को मिले थे रहस्यमयी जीव के अवशेष

आपको बता दें कि फिजी मरमेड के अवशेष 19वीं सदी के बाद के हैं। बताया जाता है कि इस अवशेष को इन्हें एक अमेरिकी नाविक की ओर से जापान से इंडियाना लाया गया था और उसके बाद इसी अवशेष को सन 1906 में क्लार्क काउंटी हिस्टोरिकल सोसाइटी को दान कर दिया गया।

खास तकनीकों के सहारे जीव के अवशेषों पर छात्र कर रहे प्रयोग

अवशेष के बारे में जानकारी जुटाने में लगे छात्र मिली जानकारी के अनुसार, नॉर्थ केंटकी विश्वविद्यालय (एनकेयू) के रेडियोलॉजी विभाग के छात्र अब कुछ खास और विशेष प्रकार की आधुनिक तकनीकों के सहारे इस रहस्यमायी जीव पर प्रयोग कर रहे हैं। रेडियोलॉजिक विज्ञान की छात्रा अमांडा नशाल्स्की का खाना है कि मैंने कभी ऐसा जीवन नहीं देखा। उनका कहना है कि ऑनलाइन तस्वीरें देखने पर यह जीव बड़ा लगता है लेकिन सामने से ये बहुत छोटा है।

रेडियोलॉजिक विभाग के प्रोफेसर बोले - बिना नुकसान पहुंचाए जानकारी निकालना है उद्देश्य

इसके साथ ही रेडियोलॉजिक विभाग के प्रोफेसर डॉ. जोसेफ क्रेस के मुताबिक, उनका उद्देश्य अवशेष को बिना नुकसान पहुंचाए अधिक से अधिक उसके बारे में जानकारी निकालना है। उन्होंने कहा कि इस जीव के एक्स-रे के साथ हम बेहद बारीकी से अध्ययन कर सकते हैं। इसके साथ ही इस जीव के अवशेष को बिना तोड़े इसकी कलाकृति की अखंडता को बनाए रखते हुए कुछ देख सकते हैं तो इसमें कुछ बुरा नहीं है। उन्होंने बताया कि हमारे पास एनकेयू में आधुनिक प्रयोगशालाएं और आधुनिक सीटी स्कैनर हैं। हेरिटेज सेंटर में क्लार्क काउंटी हिस्टोरिकल सोसाइटी के पुरालेखपाल और आउटरीच निदेशक नताली फ्रिट्ज़ ने इसके बारे में आगे की जानकारी देते हुए कहा कि सीटी स्कैन करने के लिए और विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में इस जीव के स्ट्रक्चर को प्राप्त करने के लिए एनकेयू के एक एसोसिएट प्रोफेसर और निदेशक ब्रायन हैकेट की और से सबसे पहले उनसे संपर्क किया गया था।


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