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Nepal Protest LIVE Updates: नेपाल में Gen-Z प्रोटेस्ट के दौरान 14 लोगों की मौत, काठमांडू में कर्फ्यू, PM ओली ने बुलाई आपात बैठक

Nepal Protest Live Updates: नेपाल के काठमांडू में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शनकारी सोशल मीडिया पर बैन लगाए जाने और भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ प्रदर्शनकारी नेपाल की संसद भवन में घुस गए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। यह विरोध केवल सोशल मीडिया पर प्रतिबंध का विरोध नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसी गहरी समस्याओं के खिलाफ भी है।

नेपाल में बड़ा प्रदर्शन (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)

Nepal Protest LIVE Latest News Live: नेपाल में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन चल रहा है। यह प्रदर्शन सोशल मीडिया पर बैन लगाए जाने और भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाया जा रहा है। इसे Gen-Z प्रोटेस्ट कहा जा रहा है। प्रदर्शनकारी नेपाल के संसद भवन में घुस गए हैं। इसके मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। प्रदर्शन में अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है। काठमांडू समेत कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। पीएम केपी शर्मा ओली ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है।

पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले

स्थिति को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। नेपाल की नई जनरेशन ने 8 सितंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी। भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर सरकार के नियंत्रण के विरोध में प्रदर्शन की घोषणा की गई थी। कहा जा रहा है कि यह आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया पर बैन का नहीं है, बल्कि सालों से चले आ रहे भ्रष्टाचार, बेरोजगारी से भी जुड़ा हुआ है।

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प्रदर्शनकारियों का सरकार से सवाल है कि आखिर उनकी मेहनत की कमाई रिश्वत में क्यों चली जाती है? नौकरियां क्यों नहीं हैं, नेपाली विदेशों में नौकरों की तरह काम करने को मजबूर हैं? नेताओं के बच्चे महंगी गाड़ियों में क्यों घूमते हैं जबकि अधिकतर युवा 25-30 हजार रुपये के लिए अपनी जान कुर्बान कर देते हैं?

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यह भी पढ़ें : नेपाल में सोशल मीडिया पर क्यों लगा था प्रतिबंध?

सोशल मीडिया कंपनियों को रजिस्ट्रेशन कराने के निर्देश

बता दें कि नेपाल सरकार ने सभी सोशल मीडिया कंपनियों से कहा था कि वे सात दिन के भीतर अपना पंजीकरण करवाएं। जो कंपनियां यह पंजीकरण कराने में विफल रहीं, उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। हालांकि ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने का फैसला अदालत की अवमानना के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद आया है। इस फैसले में सरकार को निर्देश दिया गया था कि देश में चल रहे सभी घरेलू और विदेशी मूल के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को पंजीकृत कराना सुनिश्चित करे और उन पर शेयर किए जा रहे पोस्ट की निगरानी करे।


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