‘वे मलबे में तब्दील हो जाएंगे’, इजराइली PM नेतन्याहू के बयान के क्या हैं मायने? कहीं भूले तो नहीं ‘Operation Bayonet’
Israel Palestine War Know About Operation Bayonet Wratch Of God: फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास के नरसंहार और फिर इजराइली कार्रवाई में अब तक 500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। शनिवार से मिसाइलों की बमबारी का खेल रविवार को दूसरे दिन भी जारी है। पहले दिन यानी शनिवार को ही इजराइली पीएम नेतन्याहू ने युद्ध में जाने की घोषणा की। फिर उन्होंने गाजापट्टी में मौजूद हमास के आतंकियों को सख्त चेतावनी दे दी। नेतन्याहू ने कहा कि वे (हमास के आतंकी) मलबे में तब्दील हो जाएंगे। आइए जानते हैं कि आखिर नेतन्याहू के इस दो टूक बयान का क्या मतलब है?
हमास के हमले और फिर इजराइल के जवाबी हमले के बीच सोशल मीडिया पर 'Operation Bayonet' ट्रेंड कर रहा है। लोग इस ऑपरेशन की बात कर रहे हैं। बता दें कि Operation Bayonet को ऑपरेशन 'Wratch Of God' भी कहा जाता है। इस ऑपरेशन को पांच दशक पहले इस्राइल की खुफिया एजेंसी 'मोसाद' ने चलाया था, जो करीब दो दशक तक चला था।
क्या था ऑपरेशन 'Wratch Of God'
दरअसल, 5 दशक पहले 1972 में म्यूनिख नरसंहार हुआ था। उस दौरान म्यूनिख में ओलिंपिक का आयोजन किया गया था। खिलाड़ियों के ठहरने के लिए ओलिंपिक विलेज बनाया गया था, जहां सभी देशों के खिलाड़ी पहुंचे थे। ये वो समय था, जब इस्त्राइल ने 234 फिलिस्तीनियों को जेल में बंद रखा था। फिलिस्तीन इन लोगों को छुड़ाना चाहता था, इसलिए फिलिस्तीनी आतंकी खिलाड़ियों के वेश में म्यूनिख ओलिंपिक गांव पहुंच गए।
फिलिस्तीनी आतंकियों ने इजराइली टीम पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी और 11 फुटबॉल खिलाड़ियों को मौत के घाट उतार दिया। इस घटना के बाद इजराइली सरकार ने बदले का जिम्मा अपनी खुफिया एंजेसी 'मोसाद' को सौंपी। मोसाद ने करीब 20 साल तक ऑपरेशन 'रेथ ऑफ गॉड' चलाकर फुटबॉल खिलाड़ियों की हत्या में शामिल आतंकियों को ढेर कर दिया।
हर बदले के बाद छोड़ते थे खास संदेश
कहा जाता है कि मोसाद के एजेंट म्यूनिख हत्याकांड में शामिल आतंकियों के खात्मे के बाद एक खास संदेश छोड़ते थे। हत्याकांड में शामिल आतंकियों की हत्या भी खास तरीके से की जाती थी। कहा जाता है कि मोसाद के एजेंटे्स ने कुछ आतंकियों के सिर और छाती पर खास शेप में गोली मारते थे। हर हत्या के पहले मरने वाले परिवार के घर फूलों का गुलदस्ता पहुंचाया जाता था, जिस पर लिखा होता था, न हम भूलते हैं, न हम माफ करते हैं।
मोसाद ने ऐसे लिया चुन-चुन कर बदला
- पहला टार्गेट- अब्दुल वाइल जैतर
10 अक्टूबर 1972 को मोसाद के एजेंट्स ने पहला बदला लिया था। इसी तारीख को अब्दुल वाइल जैतर को मार गिराया गया था।
- दूसरा टार्गेट- डॉक्टर महमूद हमशरी
मोसाद का दूसरा टार्गेट डॉक्टर महमूद हमशरी था। हमशरी को मोसाद ने 8 दिसंबर 1972 को मार गिराया था।
- तीसरा टार्गेट- मोहम्मद यूसुफ अल नज्जर, कमल अदवान, कमल नासिर
मोसाद की टीम ने 'ऑपरेशन रेथ ऑफ गॉड' के बीच में ही मिशन स्प्रिंग ऑफ यूथ लॉन्च किया। 9 अप्रैल 1973 को लेबनान की राजधानी बेरूत में मोहम्मद यूसुफ अल नज्जर, कमल अदवान और कमल नासिर को मार गिराया।
21 जुलाई 1973 में मोरक्को के एक वेटर की मोसाद एजेंट्स ने गलती से हत्या कर दी, जिससे इस मिशन को कुछ दिनों के लिए रोकना पड़ गया।
- चौथा टार्गेट- अली हसन सलामत
1978 में मोसाद के एजेंट्स को अली हसन सलामत के ठिकाने का पता चला। इसके बाद एजेंट्स ने 22 जनवरी 1979 को सलामत और उसके बाडीगार्ड की हत्या कर दी गई। बता दें कि अली हसन सलामत ही म्यूनिख में इजराइल की फुटबॉल टीम पर हमले का मास्टरमाइंड था।
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