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बेहद घातक है ‘मोसाद’…खुफिया एजेंसी के 5 बड़े ऑपरेशन, जिनसे आज भी कांपते हैं इजरायल के दुश्मन

Israel intelligence agency mossad: इजरायल और हमास के बीच लड़ाई चरम पर है। इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को काफी घातक माना जाता है। जो कई ऐसे ऑपरेशन को अंजाम दे चुकी हैं, जो नामुमकिन माने जाते थे। अपनी ताकत से ये इजरायल के कई दुश्मनों को दहला चुकी है।

Israel intelligence agency mossad: हमास के हमले के बाद दुनिया की सबसे खूंखार कही जाने वाली खुफिया एजेंसी पर सवाल उठ रहे हैं। मोसाद को सबसे घातक एजेंसी माना जाता है, जिसने इजरायल को दुश्मनों के सामने शेर साबित किया है। लेकिन इस हमले के बाद उस पर सवाल उठ रहे हैं कि कैसे इतने बड़े हमले का इनपुट नहीं मिला। अभी तक की जंग में दोनों देशों के सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। वहीं, हजारों घायल हैं। हमास ने इजरायल पर जो अटैक किया है, वह सदी का सबसे बड़ा हमला है। यह भी पढ़ें-Israel Hamas War: इजरायल-हमास की लड़ाई का भारत पर क्या और कैसे असर पडे़गा! 5 पॉइंट में समझिए इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के एजेंट दुनियाभर में माने जाते हैं। वे बिना हथियार लड़ने में भी माहिर होते हैं। दुश्मन के लिए मोसाद का मतलब मौत माना जाता था। मोसाद 74 साल पहले बनी थी। इसका मुख्यालय तेल अवीब शहर में है। मोसाद का मतलब है इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशन, जिसे 13 दिसंबर 1949 को बनाया गया। रियुवैन शिलोह इसके पहले डायरेक्टर थे। मोसाद ने कई ऐसे खुफिया ऑपरेशन अंजाम दिए थे। जो असंभव थे। मोसाद ने कई नाजी अफसरों को भी मौत के घाट उतारा। इसके महत्वपूर्ण ऑपरेशंस के बारे में जान लेते हैं।
  1. ऑपरेशन अर्जेंटीना-यहूदियों का संहार करने को नाजी 'होलोकॉस्ट' बोलते थे। 1933 से 1945 के बीच यूरोप में 40 लाख यहूदी मारे गए। एडोल्फ हिटलर की बदनाम स्टेट सीक्रेट पुलिस को इसका जिम्मेदार माना जाता है। लेफ्टिनेंट कर्नल एडोल्फ आइकमन यहूदी डिपार्टमेंट के हेड थे। जिन्होंने नरसंहार करवाया। 1957 में मोसाद को उनके अर्जेंटीना में होने की जानकारी मिली थी। जिसके बाद 11 मई 1960 को किडनैप करके इजरायल लाया गया। वहां केस चला मौत की सजा दी गई थी।
  2. ऑपरेशन थंडरबोल्ट-27 जून 1967 का दिन था। तेल अवीव के बेनगुरियन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से एख फ्लाइट पेरिस जा रही थी। जिसको हाईजैक कर लिया गया था। 2 हाईजैकर्स फिलिस्तीनी और 2 जर्मनी के थे। प्लेन को युगांडा के एंतेबे में उतारा गया था। जिन्होंने इजरायल से अपनी जेलों में बंद साथियों को छोड़ने की डिमांड की थी। इसके बाद मोसाद ने युंगाडा में आकर आतंकियों को खत्म किया था। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी इस ऑपरेशन का हिस्सा रहे थे। लेकिन उनके भाई योनाथन नेतन्याहू शहीद हो गए थे।
  3. ऑपरेशन रॉथ ऑफ गॉड-1972 में जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित ओलंपिक गेम्स के बाद ये ऑपरेशन चलाया गया था। जहां 8 आतंकियों ने खिलाड़ियों की ड्रेस पहन 11 इजरायली खिलाड़ियों को मार दिया था। ये आतंकी फलस्तीनी ब्लैक सेपटेंबर लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन के थे। दो दिन बाद ही इजरायल ने कार्रवाई की थी। लेबनान और सीरिया में पीएलओ के 10 ठिकाने तबाह कर दिए गए थे। इसका किसी को पता नहीं लगा था। काफी समय बाद पता लगा था कि इस ऑपरेशन को ज्वी जमिर ने लीड किया था। जो मोसाद के तत्कालीन चीफ थे।
  4. ऑपरेशन ईरान-ईरान और इजरायल कट्टर दुश्मन हैं। इजरायल कभी भी ईरान के न्यूक्लियर मिशन को पूरा नहीं होने देता है। एक बार 18 महीने ऑपरेशन चलाकर 1 हजार जासूसों की मदद से मोसाद ने पूरा प्रोग्राम फेल कर दिया था। वैज्ञानिक ब्रिगेडियर जनरल मोहसिन फखरीजादेह का मर्डर भी कर दिया गया था। मोसाद के पूर्व प्रमुख योसी कोहेन ने बाद में कहा था कि कई न्यूक्लियर मिशन ईरान में तबाह किए हैं।
  5. ऑपरेशन मबूह-मोसाद ने हमास के कई लीडरों को मारा है। कई लोगों की मौत रहस्यमयी ढंग से हुई है। महमूद अल मबूह का नाम इसमें शामिल है, जिसने कई आतंकी हमले इजरायल में करवाए हैं। मोसाद ने दुबई में जाकर उसको मौत के घाट उतार दिया। फर्जी दस्तावेजों से दुबई गए एजेंटों ने जहर का इंजेक्शन दे दिया, जिससे उसकी ब्रेन हेमरेज के कारण मौत हो गई। अल बुस्तान रोताना होटल में 19 जनवरी 2010 को उसकी हत्या को ऐसे अंजाम दिया कि वह हादसा लगे। यह आतंकी हमास के लिए हथियार खरीदता था।


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