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‘अमेरिका अपना हर वादा तोड़ता है, करवाता है लोगों की हत्या’, ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने ट्रंप पर साधा निशाना

ईरान ने ट्रंप के तरीकों का विरोध किया है। ईरान और अमेरिका के बीच बातचीत होनी है, लेकिन दोनों देशों के बीच अभी तक कोई सकारात्मक रास्ता नहीं निकल पा रहा है। ट्रंप ईरान के परमाणु पर लगातार विरोध जता रहे हैं। वहीं ईरान अपने परमाणु प्रोग्राम पर लगातार टिका हुआ है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

ट्रंप और खामेनेई

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने एक बार फिर देश के परमाणु कार्यक्रम पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बातचीत करने की संभावना से इनकार किया है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को आड़े हाथों लिया है। खामेनेई ने वाशिंगटन पर लगातार अपनी वादों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। खामेनेई ने कहा कि जिस पक्ष का हम सामना कर रहे हैं।अमेरिका हर मामले में अपने वादे तोड़ता है। वह झूठ बोलता है, सैन्य धमकियां देता है, लोगों की हत्या करता है और परमाणु प्रतिष्ठानों पर बमबारी करता है। कहा कि हम ऐसे पक्ष के साथ बातचीत और समझौते नहीं कर सकते।

अमेरिका के साथ सीधे बातचीत नहीं

अल जजीरा ने रिपोर्ट के अनुसार मंगलवार को तेहरान ने फिर से पुष्टि की है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सीधे बातचीत नहीं करेगा। खामेनेई ने अमेरिका के साथ वार्ता को "एक मृत अंत" बताया, जबकि संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के मौके पर राजनयिक चर्चा जारी रही।

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ट्रंप की बात को बताया थोपा हुआ आदेश

ईरान के लिए अमेरिका के साथ बातचीत फिर से शुरू करना एक अहम मुद्दा बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि ईरान कभी भी परमाणु हथियार नहीं बनाएगा और तेहरान को दुनिया में आतंकवाद का नंबर एक प्रायोजक बताया था। इस पर खामेनेई ने कहा कि अमेरिका ने बातचीत के नतीजों की घोषणा पहले ही कर दी है। नतीजा यह है कि परमाणु गतिविधियां और संवर्धन बंद हो गए हैं। ट्रंप पर निशाना साधते हुए खामेनेई ने कहा कि यह कोई बातचीत नहीं है। यह एक हुक्मनामा है, एक थोपा हुआ आदेश है।

क्यों ईरान ने दिया यह बयान?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ईरान के लिए प्रतिबंधों में राहत बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके बाद ही खामेनेई का यह बयान आया है। ई3 देशों (जर्मनी, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम) ने तेहरान पर अपनी परमाणु वादा के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है, जिसमें 2015 के परमाणु समझौते, संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) के तहत अनुमत स्तर से 40 गुना अधिक यूरेनियम भंडार जमा करना शामिल है।

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