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भारतवंशी अरबपति हिंदुजा फैमिली के 4 सदस्यों को जेल! स्विस कोर्ट ने किस मामले में सुनाई सजा?

Hinduja Family Case : भारतवंशी अरबपति हिंदुजा फैमिली के चार सदस्यों को जेल की सजा सुनाई गई। स्विस कोर्ट ने यह फैसला दिया। हालांकि, अदालत ने एक और मामले में उन्हें बरी कर दिया। आइए जानते हैं कि कोर्ट ने किस केस में हिंदुजा परिवार के सदस्यों के खिलाफ आदेश दिया?

Hinduja Family Case
Hinduja Family Sentenced : भारतवंशी अरबपति हिंदुजा फैमिली की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। घरेलू स्टाफ के शोषण करने के मामले में स्विस कोर्ट ने शुक्रवार को हिंदुजा परिवार के 4 सदस्यों के खिलाफ सजा का फैसला सुनाया। सभी दोषियों के खिलाफ साढ़े चार जेल की सजा सुनाई गई। हालांकि, अदालत ने मानव तस्करी जैसे गंभीर केस में सभी को बरी कर दिया। आइए जानते हैं कि क्या है पूरा मामला? न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक, ब्रिटेन की सबसे अमीर फैमिली हिंदुजा पर घरेलू स्टाफ के शोषण और नौकरों की मानव तस्करी के गभीर आरोप लगे थे। स्विट्जरलैंड की अदालत में इस मामलों की सुनवाई हुई। घरेलू स्टाफ के शोषण मामले में कोर्ट ने भारतीय मूल के बिजनेसमैन प्रकाश हिंदुजा, उनकी पत्नी, बेटे और बहू को दोषी पाया, लेकिन उन्होंने मानव तस्करी के आरोपों को खारिज कर दिया। यह भी पढे़ं : खूंखार सीरियल किलर की लाश जेल में मिली; जानें कौन था और कैसे किए थे मर्डर? 99 साल की हुई सजा फैमिली का बिजनेस मैनेजर भी सस्पेंड जब हिंदुजा फैमिली के सदस्यों को सजा सुनाई गई तब उनमें से कोई भी अदालत में मौजूद नहीं था, लेकिन इस दौरान फैमिली के बिजनेस मैनेजर नजीब जियाजी कोर्ट में उपस्थित थे। अदालत ने अपने फैसले में हिंदुजा फैमिली के 4 सदस्यों को साढ़े चार साल कैद की सजा सुनाई और नजीब जियाजी को 18 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया। यह भी पढे़ं : 12 साल की उम्र में ग्रेजुएट हुआ ये भारतीय, 7 साल में ल‍िख डाली थी क‍िताब, फ‍िर प्रोफेसर भी बना जानें क्या है मामला ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुजा फैमिली स्टाफ से ज्यादा अपने कुत्तों पर खर्च करती थी। यह अरबपति परिवार जेनेवा के लेक विला में अपने कर्मचारियों को सिर्फ 18 हजार रुपये महीना देता था और यह पैसा भारतीय करेंसी में दिया जाता था। ऐसे में यहां पर कर्मचारी इस पैसों का इस्तेमाल नहीं कर पाते थे। स्टाफ को न तो कोई साप्ताहिक अवकाश मिलता था और न ही काम का समय निर्धारित था। वे नौकरी भी नहीं छोड़ सकते थे। उन्हें घर से बाहर जाने की भी इजाजत नहीं थी।


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