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भारत ने निज्जर मामले में सीक्रेट मेमो की रिपोर्ट का खंडन किया, बताया पाकिस्तान की साजिश

India Refutes Secret Memo Report in Hardeep Singh Nijjar Case: मंत्रालय ने द इंटरसेप्ट की रिपोर्ट को फर्जी और पूरी तरह से मनगढ़ंत बताया है।

India refutes secret memo report in hardeep singh nijjar case, calls Pakistan conspiracy
India Refutes Secret Memo Report in Hardeep Singh Nijjar Case: विदेश मंत्रालय ने रविवार को हरदीप सिंह निज्जर पर आई रिपोर्ट का खंडन किया है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत ने वेस्टर्न कंट्रीज में सिख प्रवासी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की योजना बनाने के लिए उत्तरी अमेरिका में दूतावासों को सीक्रेट मेमो भेजा था। मंत्रालय ने 'द इंटरसेप्ट' की रिपोर्ट को फर्जी और पूरी तरह से मनगढ़ंत बताया है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि ऐसा कोई मेमो नहीं भेजा गया था।

भारत के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा

विदेश मंत्रालय ने कहा- "यह भारत के खिलाफ लगातार चल रहे दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा है। यह आउटलेट पाकिस्तानी खुफिया द्वारा फैलाए गए फेक नेरेटिव्स को प्रचारित करने के लिए जाना जाता है। लेखकों के पोस्ट इस संबंध की पुष्टि करते हैं।" बयान में कहा गया है कि जो लोग ऐसी फर्जी खबरों को प्रचारित करते हैं वे ऐसा केवल अपनी विश्वसनीयता की कीमत पर कर रहे हैं।

रिपोर्ट को सरकार ने फर्जी करार दिया

दरअसल, इंटरसेप्ट रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अप्रैल 2023 में एक सीक्रेट मेमो जारी किया गया था। इसमें हरदीप सिंह निज्जर सहित भारत की खुफिया एजेंसियों द्वारा जांच के तहत कई सिख आलोचकों की लिस्ट शामिल है। रिपोर्ट को सरकार ने फर्जी करार दिया है। दावा किया गया कि यह मेमो वैंकूवर में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से दो महीने पहले भेजा गया था। बता दें कि भारत-कनाडा के संबंध उस वक्त खराब हो गए थे, जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाया था। भारत ने इस दावे को यह कहकर खारिज कर दिया कि कनाडा सबूत मुहैया कराए। भारत ने जांच प्रक्रिया में सहयोग करने की भी बात कही। दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद के बाद भारत ने कनाडा में अपनी वीजा सेवाओं को अस्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया था। वीजा सेवाएं फिर से शुरू होने के बाद कनाडा को भारत से लगभग 40 राजनयिकों को वापस बुलाना पड़ा। भारत ने कनाडाई राजनयिकों पर आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया था। ये भी पढ़ें: भारतीयों के लिए कनाडा जाकर पढ़ाई करना हुआ महंगा, ट्रूडो सरकार ने दोगुना किया स्टूडेंट्स फंड


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