संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्यों ने आज पाकिस्तान पर सवाल उठाए। उन्होंने पाकिस्तान की False Flag की कहानी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने पाकिस्तान से पूछा कि क्या लश्कर-ए-तैयबा के पहलगाम आतंकी हमले में शामिल होने की संभावना है? उन्होंने आतंकवादी हमले की व्यापक निंदा की और पाकिस्तान की जवाबदेही को सुनिश्चित करने की आवश्यकता को मान्यता दी।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बंद कमरे में बैठक के बाद कुछ सदस्यों ने विशेष रूप से धार्मिक आस्था के आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाने का मुद्दा उठाया। कई सदस्यों ने चिंता व्यक्त की कि पाकिस्तान के मिसाइल परीक्षण और परमाणु बयानबाजी तनाव बढ़ाने वाले कारक थे। स्थिति का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के पाकिस्तान के प्रयास भी विफल रहे। उन्हें भारत के साथ द्विपक्षीय रूप से मुद्दों को सुलझाने की सलाह दी।
UNSC की बैठक में पाकिस्तानी प्रतिनिधि को झिड़की लगाई गई है और भारत के साथ अपने मामले द्विपक्षीय वार्ता के जरिये सॉल्व करने को कहा गया है।खासतौर पर पहलगाम हमले पर खुद को निर्दोष कहने और घटना को false flag कहने पर पाकिस्तान को टोका गया। कुछ सदस्यों ने कहा कि आतंकियों ने धर्म पूछ कर पर्यटकों को मारा। अगर आप Abdali और Hatf मिसाइल परिक्षण ऐसे मौके पर कर रहे हैं तो दोष पाकिस्तान पर होगा।
क्या है False Flag की कहानी का मतलब?
False Flag का मतलब है, जानबूझकर कोई घटना करना और उसे किसी दूसरे पर थोप देना है। पिछले दिनों एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस वीडियो में हरे रंग का फ्लैग नजर आ रहा था। फ्लैग को लेकर दावा किया गया था कि यह पाकिस्तान का झंडा है, जबकि वह केरला के राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) का बैनर था। इस्लामिक झंडा था, क्योंकि इसमें सफेद बॉर्डर नहीं था, जबकि पाकिस्तान के झंडे में बाईं ओर सफेद बॉर्डर होता है।
झूठे झंडे का इस्तेमाल आतंकवाद से जुड़े केसों में किया जाता है। आतंकवादी घटना को खुद अंजाम देकर किसी दूसरे देश पर थोप दिया जाता है, लेकिन इसका इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए भी किया जा सकता है। पाकिस्तान की कहानी झूठे झंडे की कहानी इसलिए की जा रही है, क्योंकि पाकिस्तान का कहना है कि भारत ने पहलगाम में हुआ आतंकी हमला जबरन पाकिस्तान पर थोप दिया है। जबरदस्ती पाकिस्तान और ISI को आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।