Imran Khan Controversy Explainer: पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को लेकर विवाद और हंगामा जारी है. इमरान खान के परिवार को उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा है. उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के अधिकारी भी इमरान खान पर जेल में अत्याचार किए जाने का आरोप लगा रहे हैं. हाल ही में बलूचिस्तान के मीडिया ने दावा किया कि इमरान खान को जेल में जहर देकर मार दिया गया है. इस दावे के बाद शहबाज शरीफ और असीम मुनीर पर सवा उठने लगे. इमरान खान के परिजन और समर्थन जेल में बाहर धरने पर बैठ गए और इमरान के जिंदा होने के सबूत मांग रहे हैं.
पाकिस्तान में सरकार पर है सेना का फुल कंट्रोल
लेकिन क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में यह सब पहली बार नहीं हो रहा है, बल्कि इमरान खान से पहले भी कई सियासी दिग्गज पाकिस्तानी सेना के जुल्मों का शिकार हो चुके हैं. सेना विरोधी बयानबाजी के साथ-साथ व्यक्तिगत दुश्मनी का दंश झेल चुके हैं और जानते हैं कि ऐसा क्यों है? क्योंकि पाकिस्तान में सेना सर्वोपरि है. सरकार पर सेना का कंट्रोल है, इसलिए जब-जब विपक्षी दलों ने सेना प्रमुखों की मनमानी का खुलासा करने की कोशिश की, तब-तब उनके नेताओं को दमन सहना पड़ा. उनका मुंह बंद करने की कोशिश की गई. किसी को देश छोड़ना पड़ा तो किसी को मौत मिली तो कोई जेल में गया.
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विपक्षी दलों के इन नेताओं ने सहा दमन का दंश
सबसे पहले बात करते हैं जुल्फिकार अली भुट्टो की, जो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के संस्थापक थे. 1977 में सैन्य तख्तापलट हुआ और जिया-उल-हक की सरकार बनी तो जुल्फीकार को लोकतंत्र विरोधी नीतियों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार किया गया और 1979 में फांसी पर चढ़ा दिया गया. उस समय भी खूब बवाल मचा था और सेना पर दमन का आरोप लगा था.
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1990 में उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) की अध्यक्ष और देश की प्रधानमंत्री बनीं. वे 2 बार प्रधानमंत्री बनीं, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए सेना ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया. बेनजीर भुट्टो को बर्खास्त करके देश से निर्वासित कर दिया गया. इस बीच साल 2007 में ही गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी गई और हत्या कराने का आरोप सेना पर लगा था.
बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के सह अध्यक्ष और उनके पति असिफ अली जरदारी पर सेना ने जुल्म ढहाए. साल 2008 में उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराकर 11 साल जेल की सजा सुनाई गई. सजा पूरी होने के बाद वे देश छोड़कर चले गए. कुछ साल पहले ही वापस आए और वर्तमान में राष्ट्रपति हैं, लेकिन उनकी वर्किंग पूरी तरह से सेना पर निर्भर है.
साल 2017 में PML-N प्रमुख नवाज शरीफ को सेना का दमन सहना पड़ा. पनामा पेपर्स मामले में कार्रवाई के चलते उन्हें चुनाव लड़ने या राजनीति करने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है और 7 साल तक भ्रष्टाचार के केस में वे फंसे रहे. जेल से छूटने के बाद उन्हें निवार्सित कर दिया गया और वे लंदन चले गए. हालांकि साल 2023 में वे लौट आए, लेकिन राजनीतिक छवि धूमिल हो गई.
साल 2022 से नवाज शरीफ के भाई हुसैन शहबाज शरीफ सेना के समर्थन से प्रधानमंत्री बने, लेकिन वे सेना के दबाव में सरकार चल रहे हैं. निजी और राजनीतिक जीवन में आर्थिक संकट झेल रहे हैं. साथ ही उन पर इमरान खान और उनकी सरकार का दमन करने का आरोप लगा है, जबकि दमन के पीछे असीम मुनीर का हाथ बताया जा रहा है, जिन्हें हाल ही में पाकिस्तान का सर्वोच्च नेता बना दिया गया है.