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फ्रांस में दिल्ली जैसा किसान प्रदर्शन, संसद पर फेंके गए अंडे, जानें क्यों सड़कों पर उतरे अन्नदाता?

France Farmers Protest Like Delhi Farmers Movement: दिल्ली में किसान आंदोलन जैसा विरोध प्रदर्शन फ्रांस में चला रहा है। किसान सड़कों पर उतरे हुए हैं और काफी उग्र तरीके से विरोध जता रहे हैं।

किसान अपनी मांगें मनवाने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
France Farmers Protest Like Indian Farmers Movement: फ्रांस और यूरोप में किसान सड़कों पर उतरे हुए हैं। उग्र विरोध प्रदर्शन चल रहा है और यह प्रदर्शन ठीक वैसा ही है, जैसा भारत की राजधानी दिल्ली में देशभर के किसानों ने किया था। फ्रांस के किसान सरकार की कारगुजारी से इतने नाराज हैं कि संसद पर अंडे फेंक कर विरोध जताया। बड़े-बड़े पत्थर अड़ाकर रास्ता रोककर किसान सड़कों पर बैठे हुए हैं, लेकिन फ्रांस और यूरोप के कुछ इलाकों के किसान क्यों भड़के हुए हैं, आइए इस पर बात करते हैं...  

सरकार पर दबाव बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन

रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों के विरोध का कारण कर, लालफीताशाही, नौकरशाही, कम भुगतान और सस्ता आयात है। बढ़ती लागत से निपटने के लिए किसान सरकार पर मदद करने का दबाव बनाना चाहते हैं, इसलिए पूरे यूरोपीय संघ में किसानों का विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। और भी कई मुद्दे हैं, जिन्होंने किसानों को आंदोलन करने के लिए प्रेरित किया। किसानों का आरोप है कि उन्हें उनकी मेहनत का पर्याप्त भुगतान नहीं किया जाता है। वे करों, लालफीताशाही, नियमों और सस्ते आयात से परेशान हैं।  

किसानों के आयात क्यों बना समस्या?

फ्रांस से किसानों के प्रोडक्ट यूक्रेन में आयात किए जाते हैं, लेकिन रूस के आक्रमण के बाद यूरोपीय संघ ने कोटा और शुल्क माफ कर दिया। यूरोपीय संघ और दक्षिण अमेरिकी ब्लॉक मर्कोसुर के बीच एक व्यापार समझौते हुआ है, लेकिन इसे समाप्त करने के लिए नए सिरे से बातचीत चल रही है। इस समझौते के कारण चीनी, अनाज और मांस की कीमतें गिर गई हैं। किसान नाराज़ हैं, क्योंकि उन पर यूरोपीय संघ द्वारा तय की गई कीमतों पर चीजें बेचने का दबाव डाला जाता है। किसानों ने आपातकालीन ब्रेक लगाकर यूक्रेन से कृषि आयात को सीमित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उत्पादकों इससे सहमत नहीं हैं।  

परती भूमि मुद्दा क्यों बना हुई है?

फ्रांस के किसान यूरोपीय संघ के नए सब्सिडी नियमों का भी विरोध कर रहे हैं। नियमानुसान उन्हें अपनी जमीन का 4% हिस्सा परती छोड़ने को कहा जाता है। किसानों का कहना है कि सरकार ने नियमों को काफी जटिल बना दिया है। इनमें ढील दिए जाने की जरूरत है।

डीजल ईंधन लागत का प्रभाव

यूरोपीय संघ के सबसे बड़े कृषि उत्पादक जर्मनी और फ्रांस में, किसानों ने कृषि डीजल पर सब्सिडी या कर छूट समाप्त करने की योजना का विरोध किया है। ग्रीस के किसान चाहते हैं कि डीजल पर टैक्स कम किया जाए। पेरिस और बर्लिन दोनों ही दबाव के आगे झुक गए हैं और अपनी योजनाओं से पीछे हट गए हैं।


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