TrendingMCD ElectionSanchar Saathiparliament winter session

---विज्ञापन---

कुवैत से भागा, यूके को बनाया ठिकाना, अब इस देश के आईलैंड को ‘इस्लामी मुल्क’ बनाना चाहता है ये मौलवी

Sheikh Yasser Al Habib: ब्रिटेन में शरणार्थी के तौर पर रह रहे मुस्लिम चरमपंथी अल हबीब स्काॅटिश द्वीप टोर्सा को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहते हैं। इसके लिए वे दुनियाभर के मुसलमानों से धन जुटा रहे हैं।

चरमपंथी स्काॅलर शेख यासर अल हबीब
Extremist Scholar Sheikh Yasser Al Habib: कट्टरपंथी मुस्लिम मौलवी शेख यासर अल हबीब स्काॅटलैंड के पश्चिमी तट से दूर टोर्सा द्वीप को खरीदने की तैयारी कर रहे हैं। मौलवी उस द्वीप पर अपने संगठन के जरिए स्कूल, हाॅस्पिटल और मस्जिद बना सकते हैं। इन सबके जरिए वे शरिया कानून का पालन करवाना चाहते हैं। बता दें कि हल अबीब यह सब करके इस्लामिक स्टेट बना चाहते हैं। द मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार उनके अनुयायियों को महदी सेवक संघ कहा जाता है। टोर्सा द्वीप पर पिछले 85 सालों से कोई नहीं रहता है और यह स्लेट द्वीप समुह में स्थित है। पिछले साल सैविल्स ने इस द्वीप को बेचने के लिए 1.5 मिलियन पाउंड की कीमत तय की थी और इसके लिए एक विज्ञापन भी निकाला था। यहां पड़ोसी द्वीप लुइंग और सेइल से एक नाव के जरिए समुद्र के रास्ते पहुंचा जा सकता है।

डोनेशन के तौर पर लिए 32 करोड़ रुपये

द मेल की रिपोर्ट के अनुसार मुस्लिम मौलवी शेख यासर सैन्य शैली के ट्रेनिंग कैंप चलाते हैं। इसके लिए मौलवी दुनियाभर के मुसलमानों से 32 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि जुटाई है। स्थानीय रिपोर्ट की मानें तो अल हबीब ने एक वीडियो जारी कर कहा कि यदि आप इमाम के झंडे तल स्वतंत्र रहना चाहते हैं जहां रहकर आपको लगे कि यहां सब कुछ शिया मातृभूमि है तो आपको इस परियोजना का समर्थन करना चाहिए। ये भी पढ़ेंः 36 लोगों की मौत और 162 घायल, 2 कबीलों के बीच छिड़ी हिंसक जंग; दागे मोर्टार-रॉकेट

कुवैत से भागकर यूके में ली थी शरण

बता दें कि चरमपंथी मौलवी शेख यासर अल हबीब 20 साल पहले कुवैत से भागकर यूके में शरण मांगी थी। वह यूके के दक्षिण बंकिघमशायर स्थित एक छोटे से गांव फुलमर में रहते हैं। उन्हें फुलमेर के मुल्ला के नाम से भी जाना जाता है। उन पर शियाओ और सुन्नी के बीच सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप है। रिपोर्ट के अनुसार द्वीप को बसाने के लिए वे अपने सैटेलाइट स्टेशन फदाक टीवी के जरिए धन जुटा रहे हैं। जो पिछले कई सालों से एक चर्च में चल रहा है। ये भी पढ़ेंः वैज्ञानिकों की बड़ी खोज- 4500 साल पहले पिरामिड में इस सिस्टम का हुआ इस्तेमाल


Topics:

---विज्ञापन---