Elon Musk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क की मुलाकात हाल ही में ब्लेयर हाउस में हुई, जहां मस्क ने पीएम मोदी को एक बेहद खास और अनोखा तोहफा दिया। यह कोई आम गिफ्ट नहीं था, बल्कि स्पेसएक्स के सबसे बड़े और ताकतवर रॉकेट "स्टारशिप" का एक हिस्सा था। इस खास गिफ्ट को "स्पेस रिलिक" कहा जा रहा है, जो अंतरिक्ष से जुड़ी एक ऐतिहासिक धरोहर है। सोशल मीडिया पर इस गिफ्ट की खूब चर्चा हो रही है और लोग इसे एक नया ट्रेंड मान रहे हैं। आखिर क्या है इस गिफ्ट की खासियत? आइए जानते हैं।
एलन मस्क ने पीएम मोदी को दिया खास तोहफा
ब्लेयर हाउस में मुलाकात के दौरान अरबपति एलन मस्क ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खास तोहफा दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएम मोदी को दुनिया के सबसे बड़े और ताकतवर रॉकेट स्टारशिप का एक हिस्सा भेंट किया गया। यह खास तोहफा स्टारशिप फ्लाइट टेस्ट 5 का एक हीट शील्ड टाइल है, जिस पर "Starship Flight Test 5. October 13, 2024" लिखा हुआ है। इस उपहार को लोग 'स्पेस रिलिक' यानी अंतरिक्ष की ऐतिहासिक धरोहर भी कह रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस गिफ्ट की तस्वीर वायरल हो रही है और यूजर्स इसे बेहद खास और ऐतिहासिक बता रहे हैं। एक यूजर ने मजाकिया अंदाज में लिखा, "जब लोग जलन से जल रहे हों, तो आपको हीट शील्ड की जरूरत होती है।"
स्पेसएक्स का ऐतिहासिक स्टारशिप टेस्ट
स्पेसएक्स का यह टेस्ट अक्टूबर 2024 में हुआ था और यह कंपनी के लिए एक बड़ी सफलता थी। इस टेस्ट में पहली बार 232 फुट लंबे रॉकेट बूस्टर को हवा में पकड़ने का प्रयास किया गया, जिसे 'मेचाजिला' नाम के विशालकाय आर्म्स की मदद से किया गया। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, क्योंकि पहली बार एक रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के कुछ ही समय बाद दोबारा इस्तेमाल के लिए तैयार किया गया था। यह टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा हुआ और स्टारशिप रॉकेट इंडियन ओशन में स्प्लैशडाउन करने में कामयाब रहा। यह टेस्ट स्पेसएक्स के मानव मिशन को मंगल ग्रह तक ले जाने के लक्ष्य की दिशा में एक अहम कदम था।
पीएम मोदी ने भी दिया खास भारतीय उपहार
पीएम मोदी ने भी एलन मस्क और उनके परिवार को खास तोहफे दिए। उन्होंने रबींद्रनाथ टैगोर की 'द क्रेसेंट मून', आरके नारायण की किताबों का कलेक्शन और पंडित विष्णु शर्मा की 'पंचतंत्र' पुस्तकें भेंट कीं। इस मुलाकात को भारत और स्पेसएक्स के संभावित सहयोग के रूप में भी देखा जा रहा है। मस्क का मानना है कि यह तकनीकी उपलब्धियां मानवता को मंगल ग्रह पर बसाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।