अमेरिकी प्रशासन ने H1B वीजा पर एक लाख डॉलर वसूलना शुरू किया तो भारत में लोगों की चिंताएं बढ़ गईं क्योंकि इसका फायदा सबसे अधिक भारतीयों को ही हो रहा था. अमेरिका में करीब 70% आईटी सेक्टर में काम करने वाले भारतीय H1B वीजा पर रहकर नौकरी करते हैं. हालांकि इसका असर हर देश के लोगों पर पड़ने वाला है, जो अमेरिका में जानकारी नौकरी करना चाहते हैं. हालांकि एक तरफ जहां अमेरिका ने नया नियम बना दिया तो वहीं चीन ने लोगों के लिए रास्ता खोल दिया है.
वहीं चीन ने युवा विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science and Technology) क्षेत्र में रुचि रखने वालों के लिए एक नई वीजा कैटेगरी लॉन्च की है. चीन ने सामान्य वीजा श्रेणियों में 'K VISA' जोड़ने जा रहा है. यह वीजा उन नौजवानों के लिए उपलब्ध होगा जो साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करने में दिलचस्पी रखते हैं.
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K VISA को अमेरिकी H1B वीजा का चीनी रूप के तौर पर देखा जा रहा है. कहा जा रहा है कि अमेरिका द्वारा H1B पर नए नियम लागू किए जाने के बाद चीन ने इसका फायदा उठाया और इस नए वीजा श्रेणी को लॉन्च कर दिया. यह दक्षिण एशिया समेत उन लोगों के लिए अच्छा मौका है, जो अमेरिका के नए नियम के बाद बाहर नौकरी की तलाश में थे.
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कौन आवेदन कर सकता है?
जानकारी के अनुसार, K वीजा चीन के बाहर रहने वाले युवा वैज्ञानिक और टेक्निकल जानकार लोगों के लिए खुला रहेगा. यह वीजा पाने के लिए निर्धारित शर्तों में यह भी शामिल है कि आवेदन करने वाला चीन या विदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों या शोध संस्थानों से STEM क्षेत्र में स्नातक की डिग्री या उससे अधिक की डिग्री ले चुका हो. पढ़ाई और रिसर्च करने वालों के लिए यह वीजा उपलब्ध होगा. इसके साथ ही सभी निर्धारित शर्तों का पालन करते हुए कागजात भी जमा कराने होंगे.
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अधिकारियों का कहना है कि चीन के दूतावासों की तरफ से वीजा से संबंधित डॉक्यूमेंट, शर्त आदि की जानकारी दी जाएगी. बताया गया कि इस वीजा को हासिल करने के लिए किसी संस्था द्वारा आपको आमंत्रण की जरूरत नहीं होगी. इससे इसे हासिल करने में भी कठिनाई नहीं आने वाली है. चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने VISA में संशोधन के निर्णय को लागू करने वाले आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. नए नियम 1 अक्टूबर से लागू होंगे.