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तीसरे विश्व युद्ध की आहट! ताइवान के लिए आमने-सामने आए चीन और जापान, अमेरिका सिर्फ देख रहा तमाशा

जापान का योनागुनी, ताइवान से सिर्फ 110 किलोमीटर दूर है और जापान सरकार इस इलाके को अपनी सुरक्षा के लिए अहम हिस्सा माना जाता है.

चीन हमेशा से ही ताइवान को अपना हिस्सा बताता रहा है, जबकि चारों तरफ समुद्र से घिरा ये द्वीप खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र बताता है. दुनिया के कई देशों ने ताइवान को एक आजाद देश के तौर पर मान्यता दी है. दुनिया के लिए ताइवान एक महत्वपूर्ण देश है, जिसको चीन से बचाने के लिए दुनिया के कई देश मदद के लिए तैयार रहते हैं. ताइवान, दुनियाभर में हाईटेक सेमीकंडक्टर बनाने वाले सबसे बड़ा देश है. ये सेमीकंडक्टर आपके फ्रिज से लेकर गाड़ियों तक में इस्तेमाल होते हैं. सेमीकंडक्टर हब होने की वजह से ताइवान सिर्फ चीन के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए जरूरी है.

ताइवान पर अपना हक समझता है चीन


चीन कई बार ताइवान को अपने देश का हिस्सा बता चुका है. इतना ही नहीं, अगर दुनिया ताइवान का साथ ना दे तो शायद अब तक चीन पूरे मुल्क पर हमला कर चुका होता. ताइवान की मदद के लिए अक्सर अमेरिका, चीन के सामने खड़ा रहता है, लेकिन अब जापान ने भी चीन की तरफ अपने मिसाइल तैनात कर दिए हैं. जापान ने इन मिसाइलों को दक्षिणी द्वीप योनागुनी पर तैनात किया है, जिसकी वजह से पूर्वी एशिया में तनाव और बढ़ गया है. इसकी जानकारी जापान के रक्षा मंत्री शिंजिरो कोइजूमी ने दी, जिन्होंने ताइवान के बेहद करीब जापानी मिलिट्री बेस का दौरा किया और कहा कि मिसाइलों की तैनाती हमले की संभावना को कम करेगी और उसे बढ़ने नहीं देगी.

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जापान और चीन में कड़वाहट


शिंजिरों का बयान ऐसे समय आया है जब ताइवान को लेकर चीन और जापान के बीच कड़वाहट बढ़ती जा रही है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जापान का योनागुनी, ताइवान से सिर्फ 110 किलोमीटर दूर है और जापान सरकार इस इलाके को अपनी सुरक्षा के लिए अहम हिस्सा माना जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जापान पहले ही इस इलाके के दो द्वीपों इशिगाकी पर एंटी-शिप मिसाइलें और मियाको पर एयर सर्विलांस सिस्टम तैनात कर चुका है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की तरफ तेजी से बढ़ रहा है.

चीन ने जताई कड़ी आपत्ति


वहीं, कुछ दिन पहले जापान की पीएम साने ताकाइची ने कुछ दिन पहले इस बात की आशंका जताई थी कि ताइवान पर हमला हो सकता है. साने ताकाइची ने कहा कि ऐसी स्थिति में जापान भी अन्य देशों के साथ इस मिलिट्री ऑपरेशन में शामिल हो सकता है. चीन ने जापान के इस बयान को 'उकसावे' वाली टिप्पणी बताया और कड़ी आपत्ति जताई. चीन लगातार जापान पर आर्थिक दबाव भी डाल रहा है, जो कि ये दर्शाता है कि ताइवान मामले पर चीन किसी भी देश का इन्वॉल्मेंट बर्दाश्त नहीं कर सकता.


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