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ब्राजील की सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, दंगों के मामले में पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो कटघरे में

ब्राजीलिया: सुप्रीम कोर्ट ने ब्राजीलिया में हुए दंगों के मामले में पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। बीते दिनों जेयर के समर्थकों ने संसद में घुसकर हंगामा किया था। अदालत ने जेयर को मामले की जांच में शामिल करने की अनुमति प्रदान की है। Brazil's top court orders probe of […]

पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो
ब्राजीलिया: सुप्रीम कोर्ट ने ब्राजीलिया में हुए दंगों के मामले में पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। बीते दिनों जेयर के समर्थकों ने संसद में घुसकर हंगामा किया था। अदालत ने जेयर को मामले की जांच में शामिल करने की अनुमति प्रदान की है।   सुनवाई के दौरान अदालत में अभियोजक पक्ष ने तर्क रखा कि 10 जनवरी को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर जेयर ने एक वीडियो पोस्ट किया था। इसमें मतदान में धांधली के आरोप लगाए गए थे। हालांकि कुछ घंटे बाद ही जेयर ने यह वीडियो डिलीट कर दिया था। लेकिन यह वीडियो नागरिक विद्रोह को भड़काने की ताकत रखता है। आरोप है कि जेयर बोल्सोनारो ने अलोकतांत्रिक प्रदर्शनों को बढ़ावा दिया। और पढ़िए –Pakistan Politics: बहुमत परीक्षण का सामना करेंगे पाक पीएम शहबाज शरीफ? इमरान खान का चौंकाने वाला दावा

राष्ट्रपति भवन में की थी तोड़फोड़

8 जनवरी को ब्राजील की राजधानी ब्राजीलिया में जेर बोलसनारो के समर्थक ब्राजीली संसद, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन में घुस गए थे। जहां प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ की। दरअसल प्रदर्शनकारी चाहते थे कि ब्राजीली सेना जेयर बोल्सोनारो को फिर से सत्ता में लेकर आए और नए चुने गए वामपंथी राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा को पद से हटाए।

इलेक्ट्रिक वोट हो गए थे खारिज

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पूर्व जस्टिस मंत्री एंडरसन टोरेस की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। आरोप है कि टोरेस ने प्रदर्शनकारियों को राजधानी में घुसने की इजाजत दी थी। अक्टूबर 2022 में ब्राजील में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए थे। इन चुनाव में दक्षिणपंथी नेता और पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो को अपने विरोधी लूला डी सिल्वा के सामने कड़े मुकाबले में हार झेलनी पड़ी थी। जिसके बाद नवंबर में बोल्सोनारो ने आरोप लगाया कि सॉफ्टवेयर की तकनीकी खराबी के चलते उनकी हार हुई क्योंकि इससे अधिकतर इलेक्ट्रिक वोट खारिज हो गए थे। और पढ़िए - दुनिया से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहाँ पढ़ें


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