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बांग्लादेश में जिस हिंदू शख्स की लिंचिंग की गई, उसके खिलाफ नहीं मिले ईशनिंदा के सबूत

बांग्लादेश में दीपू चंद्र दास की हिंसक भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इसके बाद शव को पेड़ से बांधकर जला दिया था.

हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखने वाले दास की उम्र 25 साल थी.

बांग्लादेश में गुरुवार रात एक हिंदू शख्स की भीड़ ने ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. लेकिन अब सामने आया है कि दीपू चंद्र दास ने कोई ईशनिंदा नहीं की थी. हत्या के करीब 48 घंटे बाद बांग्लादेश की रैपिड एक्शन बटालियन ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कहा गया है कि दीपू के खिलाफ किसी भी अपवित्र काम का कोई सबूत नहीं मिला है.

RAB की जांच में यह बात सामने आने के बाद बांग्लादेश की सरकार को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. उधर, सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जानकारी दी है कि इस मामले में अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

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कैसे की गई हत्या

हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखने वाले दास की उम्र 25 साल थी. दीपू चंद्र दास अपना गुजारा करने के लिए एक फैक्ट्री में मजदूर के रूप में काम करते थे. शहर के स्क्वायर मास्टरबारी इलाके में यह फैक्ट्री ‘पायनियर निट कंपोजिट’ स्थित है. बांग्लादेशी मीडिया हाउस ‘बार्टा बाजार’ ने स्थानीय और चश्मदीदों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि फैक्ट्री कैंपस और आसपास के इलाकों में ईशनिंदा की अफवाह तेजी से फैल गई थी. इसके बाद वहां तनाव बढ़ गया. फिर गुस्साई भीड़ ने दीपू पर हमला कर दिया और उसे बुरी तरह पीटा. दीपू को इतना पीटा कि उसकी मौके पर ही मौत हो गई.

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पिता की खौफनाक दास्तां

दीपू के पिता रविलाल दास के हवाले से लिखा है कि उनके परिवार को सबसे पहले सोशल मीडिया के जरिए इसका पता चला. रविलाल दास ने बताया, ‘हमने फेसबुक पर देखा. फिर लोगों से सुना कि मेरे बेटे को बहुत बुरी तरह पीटा गया. करीब आधे घंटे बाद मेरे चाचा आए और बताया कि वे मेरे बेटे को ले गए और उसे एक पेड़ से बांध दिया है.’ उन्होंने आगे बताया कि भीड़ ने उनके बेटे पर केरोसिन डालकर आग लगा दी. फिर उसका जला हुआ शरीर छोड़ भीड़ चली गई. जले हुए धड़ और सिर को एक साथ बांध दिया था.

गृहमंत्री की कुर्सी पर तलवार

वहीं, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में गृहमंत्री का ओहदा रखने वाले रिटायर जनरल जहांगीर आलम चौधरी की कुर्सी पर तलवार लटक रही है. उस्मान हादी को दफनाने के बाद इंकलाब मंच के प्रमुख नेता और हादी के सहयोगी रहे अब्दुल्ला ने कहा था कि इस हत्याकांड के आरोपियों के खिलाफ सप्ताह भर पहले क्या कार्रवाई की गई, इसकी रिपोर्ट 24 घंटे में आनी चाहिए. वरना उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना होगा.

यह भी पढ़ें : बांग्लादेश में भीड़ ने क्यों फूंके मीडिया हाउस, आखिर 33 साल में पहली बार ‘द डेली स्टार’ और 27 साल में ‘प्रथम आलो’ क्यों नहीं छपे?

इसके अलावा हादी के समर्थक छात्रों ने ढाका यूनिवर्सिटी के बंगबंधु हॉल के नाम पर शाहिद उस्मान हादी के नाम का साइनबोर्ड लगा दिया.


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