‘जिंदा रहने के लिए हमें अपना पेशाब पीना पड़ रहा है’, जबरन रेगिस्तान में भेजे गए अफ्रीकियों की आपबीती
Africans Drink Own Urine To Survive In Desert At Tunisia Algeria Border: अफ्रीका के प्रवासियों को जबरन रेगिस्तान में भेजे जाने की भयावहता सामने आई है। अफ्रीकियों ने बताया कि ट्यूनीशिया में सीमा पार करने का प्रयास करते समय कुछ लोग प्यास से मर गए। कुछ लोग तो ऐसे हैं, जो प्यास को बुझाने और जिंदा रहने के लिए अपना पेशाब तक पी रहे हैं।
मामले की जानकारी के बाद मानवाधिकार समूह ब्रुसेल्स से इन आरोपों पर सख्त रूख अपनाने का आग्रह कर रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूरोपीय संघ 1 बिलियन यूरो यानी करीब 87 अरब रुपये प्रवासन समझौते के तहत ट्यूनीशिया को देने की तैयारी कर रहा है।
एक प्रमुख इंटरगवर्मेंट ऑर्गेनाइजेशन के एक अधिकारी के अनुसार, ट्यूनीशियाई अधिकारियों ने अकेले जुलाई में 4,000 से अधिक लोगों को लीबिया और अल्जीरिया के सीमाओं पर सैन्य बफर जोन में स्थानांतरित कर दिया। नाम न छापने की शर्त पर सूत्र ने कहा कि सिर्फ जुलाई के पहले सप्ताह में करीब 1,200 लोगों को लीबिया की सीमा पर वापस भेज दिया गया। अगस्त के अंत तक उनके संगठन को 7 लोगों के बारे में पता था जिन्हें जबरन रेगिस्तान में धकेल दिया गया था, जो बाद में प्यास से मर गए।
ट्यूनीशिया के मंत्री ने किया ये दावा
पिछले महीने ट्यूनीशिया के मंत्री कामेल फ़ेकीह ने स्वीकार किया कि करीब छह से 12 लोगों के छोटे समूह को रेगिस्तान में वापस भेजा गया था। हालांकि मंत्री ने किसी भी तरह के दुर्व्यवहार से इनकार किया। उधर, 28 साल की नाइजीरियाई महिला सलमा ने कहा कि जुलाई की शुरुआत में, ट्यूनीशियाई पुलिस ने हमें स्फ़ैक्स में पकड़ लिया। मेरे दो साल के बेटे और मुझे कुछ पुलिसकर्मी ले गए और लीबिया की सीमा पर रेगिस्तान में वापस धकेल दिया। मेरे पति को अन्य सीमा रक्षकों ने पकड़ लिया था और मुझे नहीं पता कि उनके साथ क्या हुआ?
नाइजीरिया के बेनिन शहर के 38 साल के माइकल ने कहा कि मुझे तीन बार रेगिस्तान में वापस धकेला गया। आखिरी बार जुलाई के अंत में ट्यूनीशियाई सीमा रक्षकों ने हमें पीटा, हमारे पैसे और सेलफोन चुरा लिए। रेगिस्तान में हमारे पास पानी नहीं था। जीवित रहने के लिए मुझे अपना मूत्र पीना पड़ा।
द गार्जियन ने कैमरून के पाटो क्रेपिन से भी बात की, जिनकी पत्नी और बेटी को जुलाई में ट्यूनीशियाई अधिकारियों ने रेगिस्तान में वापस भेज दिया था। लीबिया के रेगिस्तान के एक दूरदराज इलाके में प्यास से उनकी मौत हो गई।
सेनेगल के 22 साल के जिब्रिल ताबेटे ने कहा कि उन्होंने मुझे ट्यूनिस में गिरफ्तार कर लिया और अल्जीरिया के पास एक सीमावर्ती शहर कासेरिन के पास ले गए। उन्होंने हमें सीमा से कुछ किलोमीटर दूर छोड़ दिया। फिर हमें एक पहाड़ी पर चढ़ने का आदेश दिया गया। दूसरी तरफ अल्जीरिया था।
ताबेटे ने का कि समस्या यह है कि अल्जीरियाई गार्ड आपको ट्यूनीशिया की ओर धकेल देते हैं। ट्यूनीशियाई आपको अल्जीरिया की ओर भेज देते हैं, लोग ऐसे में मरते रहते हैं।
जुलाई में आई थी ऐसी रिपोर्ट
ट्यूनीशिया की ओर से लोगों को रेगिस्तान में वापस भेजे जाने की खबरें जुलाई में सामने आईं थीं। उस दौरान कुछ फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं। वायरल तस्वीरों के बारे में बताया गया था कि ट्यूनीशियाई अधिकारियों की ओर से रेगिस्तान में धकेले जाने के बाद शरण चाहने वाले प्रवासी प्यास और अत्यधिक गर्मी से मर रहे थे। आरोपों के बाद, ट्यूनीशिया की सरकार को अंतरराष्ट्रीय प्रेस से तीव्र आलोचना का सामना करना पड़ा, लेकिन उसने किसी भी गलत काम से इनकार किया।
क्या है पूरा मामला?
3 जुलाई को सैकड़ों अफ्रीकी प्रवासियों को ट्यूनीशिया के प्रांत स्फैक्स से बाहर निकाले जाने के बाद झड़पों में एक ट्यूनीशियाई व्यक्ति की जान चली गई। गैर सरकारी संगठनों के अनुसार, झड़पों के बाद ट्यूनीशियाई पुलिस ने अफ्रीकी प्रवासियों पूर्व में लीबिया और पश्चिम में अल्जीरिया के बीच शत्रुतापूर्ण क्षेत्र में उनके भाग्य पर छोड़ दिया गया।
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