पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए सिंधु जल समझौता स्थगित कर दिया था, जिससे पाकिस्तान पानी के लिए तरस रहा है। इसी बीच अब अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान को बड़ा झटका देते हुए पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोकने के लिए डैम बनाने की तैयारी कर रहा है। तालिबान सरकार के आर्मी जनरल मुबीन ने कुनार नदी पर बन रहे डैम का निरीक्षण किया है। तालिबान सरकार कुनार नदी पर एक बड़ा डैम (बांध) बनाने की योजना पर तेजी से काम कर रही है, जो भविष्य में पाकिस्तान के लिए गंभीर जल संकट का कारण बन सकता है। बलूच नेता मीर यार बलूच ने सोमवार को एक्स पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी है।
क्या कहा बलूच नेता मीर यार ने?
लूच नेता मीर यार ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट में लिखा, 'तालिबान शासन एक बांध बनाना चाहता है, जिससे पाकिस्तान में पानी का प्रवाह रुक जाएगा। उन्हें समर्थन दिया जाना चाहिए ताकि यह संभव हो सके कि आतंकवादी पाकिस्तान को अफगानिस्तान से भी पानी की एक बूंद न मिले। बलूचिस्तान को रावलपिंडी को खनिज आपूर्ति में कटौती करने के लिए भी खरीदा गया है। भारत, बलूचिस्तान और अफगानिस्तान के बीच रणनीतिक गठबंधन, पाकिस्तान के आतंकवाद और हमारे लोगों के खिलाफ अघोषित युद्ध का स्थायी अंत है।'
जनरल मुबीन ने डैम के लिए पैसे जुटाने की अपील की
जनरल मुबीन ने तालिबान सरकार से इस डैम को बनाने के लिए राशि जुटाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह पानी हमारे खून की तरह है और हम अपने खून को अपनी नसों से बाहर नहीं बहने दे सकते। हमें अपने पानी को रोकना होगा। इससे हमारी बिजली की जरूरतें पूरी होंगी और हम अपनी खेती में इस्तेमाल करके पैदावार बढ़ाएंगे।
क्या है डैम प्रोजेक्ट की स्थिति?
तालिबान के जल और ऊर्जा मंत्रालय के प्रवक्ता मतीउल्लाह आबिद ने कहा कि डैम की सर्वे और डिजाइन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब सरकार निर्माण के लिए वित्तीय संसाधनों की तलाश में है। तालिबान सरकार का दावा है कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से 45 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा और लगभग 1.5 लाख एकड़ खेती को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। इससे अफगानिस्तान में ऊर्जा संकट और खाद्य सुरक्षा में सुधार होगा। साथ ही स्थानीय कृषि को बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने में मदद मिलेगी। ये सभी बातें स्पष्ट संकेत देती हैं कि अफगानिस्तान इस प्रोजेक्ट को केवल विकास के लिहाज से नहीं बल्कि रणनीतिक स्वावलंबन के रूप में देख रहा है।
बूंद-बूंद को तरसेगा पाकिस्तान
कुनार नदी अफगानिस्तान के हिंदूकुश पहाड़ों से निकलती है और जलालाबाद होते हुए पाकिस्तान में प्रवेश करती है और वहां काबुल नदी में मिल जाती है। यह पाकिस्तान की कृषि और पेयजल के लिए एक अहम जल स्रोत है, लेकिन असली समस्या यह है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच अब तक काबुल नदी या उसकी सहायक नदियों पर कोई जल-बंटवारा समझौता नहीं हुआ है। इसका मतलब है कि अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय कानूनों की बाध्यता से मुक्त होकर अपने हितों के अनुसार पानी का उपयोग कर सकता है। पाकिस्तान पहले भी अफगानिस्तान की डैम परियोजनाओं पर चिंता जता चुका है, क्योंकि इससे उसके इलाके में आने वाली जल की आपूर्ति कम हो सकती है।
क्या होगा पाकिस्तान पर असर?
पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, यदि कुनार नदी पर डैम बन जाता है तो काबुल नदी के जल प्रवाह में 16-17% तक की कमी आ सकती है। इसका सीधा असर पाकिस्तान के सिंचाई तंत्र पर, सिंध और पंजाब के कृषि उत्पादकता पर और कई जिलों की जलापूर्ति व्यवस्था पर पड़ेगा। बता दें कि पाकिस्तान पहले ही भारत द्वारा सिंधु जल संधि को लेकर उठाए गए सख्त कदम से दबाव में है। चिनाब और झेलम जैसी नदियों पर भारतीय डैम परियोजनाएं पहले ही पाकिस्तान के लिए चुनौती बनी हुई हैं। ऐसे में अफगानिस्तान की ओर से आने वाले पानी पर भी अगर रोक लगती है तो यह संकट दोगुना हो जाएगा।