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Surya Shani Yog: सूर्य-शनि का साथ क्या सच में खतरनाक? पंडित सुरेश पांडेय से जानें जन्म कुंडली में दोनों ग्रह की युति का कैसा असर

Surya Shani Yog: सूर्य एक आत्मा कारक है। जबकि, शनि के छाया ग्रह है। जन्म कुंडली में दोनों ग्रह का एक भाव में स्थिति होना खतरनाक माना जाता है। आइए वीडियो के माध्यम जानते हैं कि व्यक्ति के जीवन पर कुंडली में सूर्य-शनि का एक साथ विराजमान होना कैसा प्रभाव डाल सकता है?

सूर्य-शनि योग
Surya Shani Yog: सूर्य और शनि का संबंध पिता और पुत्र का है, लेकिन दोनों एक दूसरे को पसंद नहीं करते हैं और अपना शत्रु मानते हैं। ऐसे में दोनों ग्रहों की युति या योग के निर्माण होने पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जन्म कुंडली में अगर शनि-सूर्य एक भाव में होते हैं तो दोनों ग्रह का योग बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली माना जाता है। पंडित सुरेश पांडेय के अनुसार कुंडली में सूर्य और शनि का एक भाव में स्थित होना, सूर्य-शनि योग कहलाता है। आत्मा के कारक ग्रह सूर्य और कर्मफल दाता शनि जिस व्यक्ति की कुंडली में एक भाव में स्थित होते हैं उनका रिश्ता अपने पिता के साथ मधुरता भरा नहीं होता है। इसके अलावा अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। वीडियो के माध्यम से आप जान सकते हैं कि अगर आपकी कुंडली में सूर्य और शनि एक ही भाव में स्थित है तो इसका असर आपके जीवन पर किस प्रकार पड़ता है और इसके लिए कौन से उपाय करने लाभदायक हो सकते हैं। पंडित सुरेश पांडेय ने जानकारी दी है कि सूर्य-शनि का कुंडली में योग किस प्रकार से खतरनाक होता है? आइए वीडियो के माध्यम से जानते हैं। ये भी पढ़ें- Video: दान भी बना सकता है कंगाल! पंडित सुरेश पांडेय से जानें  डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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