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ट्रायल कोर्ट के फैसले को बदलते हुए की टिप्पणी
दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बदलते हुए यह आदेश दिया। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि अकेले रहने वाले शख्स का किसी को दोस्त बनाना और उससे बातें करना पत्नी को अनदेखा करना या उसमें रुचि खत्म होना नहीं है। पत्नी इसे अपने साथ हुई क्रूरता नहीं कह सकती। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की है। यह भी पढ़ें: क्या है ‘जीरो कट ऑफ’? नीट ने बताई सच्चाई, लाखों आवेदकों को मिलेगा नए नियम का फायदामहिला ने दोस्तों से बातें करते रहने के आरोप लगाए
मिली जानकारी के अनुसार, पत्नी ने क्रूरता के आधार पर तलाक देने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। महिला ने तर्क दिया था कि पति भारतीय सेना में अधिकारी है। ड्यूटी के दौरान अलग-अलग क्षेत्रों में उनकी तैनाती होती है, लेकिन उनके कई दोस्त हैं। जब वह उनसे मिलने जाती है तो पति अपने अन्य पुरुष और महिला दोस्तों के साथ फोन पर बिजी रहता है। यह भी पढ़ें: Namibian चीतों की मौत के बाद बना खास प्लान, अब इस देश से भारत लाएंगे चीतेपति ने महिला के उदासीन रवैये का वजह बताया
महिला के अनुसार, पति की उसमें रुचि नहीं है। वह उससे संबंध नहीं रखना चाहता। वहीं पति ने तर्क दिया कि दोस्तों से बात करने को वह अपने साथ चीटिंग मानती है। पोस्टिंग के दौरान किसी कार्यक्रम या पार्टी में साथ जाने पर पत्नी ने कभी उसके साथ जाने की इच्छा नहीं जताई। उसके उदासीन रवैये के कारण हमारा रिश्ता खराब हो गया, इसलिए वह तलाक चाहता है। वहीं पत्नी ने कहा कि वह पति के साथ रहना चाहती है, बशर्ते वह उसे अनदेखा न करे। दोस्तों से दूर हो जाए। ऐसे में दोनों पक्षों को सुनने को बाद हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी की और तलाक की अर्जी खारिज कर दी।---विज्ञापन---
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