एक रेडिट यूजर ने इस बात का खुलासा करके ऑनलाइन चर्चा छेड़ दी है कि जब वह बिजनेस ईमेल के लिए अपने गैर-भारतीय नाम का उपयोग करता है तो उसे बेहतर रिस्पॉन्स मिलता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर 'नर्डकरी' नाम से जाने जाने वाले यूजर ने 'कोई भी भारतीयों के साथ बिजनेस क्यों नहीं करना चाहता?' शीर्षक वाली अपनी पोस्ट में कहा है कि वह बिजनेस टू बिजनेस (B2B) में काम करता है और उसने एक ऐसे नाम का इस्तेमाल करके अपनी पहचान बनाई है, जो भारतीय नहीं लगता। उन्होंने अपनी पोस्ट में कहा है कि जब भी मैं अपने गैर-भारतीय नाम का उपयोग करके ईमेल भेजता हूं तो मुझे बेहतर परिणाम मिलते हैं, जबकि जब मैं अपने भारतीय नाम उपयोग करता हूं तो मुझे बेहतर परिणाम नहीं मिलते हैं।
भारतीयों के साथ पक्षपात पर जताई निराशा
यूजर ने यह भी बताया कि वह जिन समुदायों का हिस्सा है, वहां इस बात पर खुलकर चर्चा होती है कि बिजनेसमैन भारतीय बाजारों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। उन्होंने लिखा, 'चाहे वह सर्विस हो या प्रोडक्ट कोई भी भारतीयों को बेचना या उनसे खरीदना नहीं चाहता।' इस पक्षपात पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए यूजर ने सवाल किया कि क्या यह समस्या बाहरी भेदभाव या भारतीय व्यापार संस्कृति के भीतर की खामियों से उपजी है? उन्होंने कहा, 'मुझे पता है कि मैं यहां बहुत सामान्य बात कर रहा हूं लेकिन इस भेदभाव को देखकर मैं पागल हो जाता हूं। लेकिन फिर मुझे आश्चर्य होता है कि शायद हम यहां दोषी हैं?'
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वायरल हुई पोस्ट, लोगों ने दिए रिएक्शन
यह पोस्ट तुंरत ही ऑनलाइन वायरल हो गई और इस पर कई प्रतिक्रियाएं आने लगीं। एक यूजर ने कहा, 'मैं समझता हूं कि आप क्या कहना चाह रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, मिडिल ईस्ट और एएनजेड (ANZ) के ज्यादातर देशों में भारतीय ईमेल और कॉल को कॉल सेंटर के लिए किए गए आवेदन के बराबर माना जाते हैं। इसलिए जब आप कुछ बेचने की कोशिश कर रहे होते हैं तो वे खुलकर बात नहीं करते हैं।
भारतीय घोटाले और खराब ग्राहक सेवा के कारण बदनाम
वहीं, एक अन्य यूजर ने कहा, 'दुर्भाग्य से मजबूत होने के साथ-साथ भारतीय घोटाले और खराब ग्राहक सेवा की वजह से बदनाम हैं। मैं मुंबई आदि में रहने वाले भारतीयों के साथ सीधे काम करता हूं और वे बहुत अच्छे हैं। लेकिन अगर मुझे भारत में रहने वाले किसी व्यक्ति से कोई प्रोडक्ट बेचने के लिए कोई आवेदन आता है तो यह सीधे कूड़ेदान में चला जाता है।'
भारत के बाजार में लाभ का मार्जन कम
एक यूजर ने कहा कि 'भारत एक ऐसा बाजार है, जहां लाभ का मार्जिन बहुत कम है और आपको हमेशा कीमत के मामले में दबाव का सामना करना पड़ता है। भारतीय फर्म हमेशा अपने व्यवसाय के आकार के बारे में झूठ बोलते हैं और आम तौर पर पुष्टि करने के लिए कोई डेटा साझा नहीं करते हैं। उन्होंने भारतीय लेबर को कम आंकते हुए कहा कि विकसित बाजारों की तुलना में यहां लेबर सस्ते में मिल जाते हैं। लेकिन वे उन्हें उस तरह महत्व नहीं देते हैं, जिस तरह विकसित बाजार देते हैं।'