उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से एक महिला एसएचओ का वीडियो सामने आया है. वीडियो में एसएचओ एक लड़के और लड़की को रोककर बिना पेरेंट्स के सार्वजनिक स्थल पर ना घूमने की सलाह देती हुईं दिख रही हैं. दोनों युवक-युवती बहन भाई थे. वीडियो सामने आने के बाद मोरल पुलिसिंग को लेकर चर्चा होने लगी. इसके बाद स्थानीय पुलिस ने भी इस मामले का संज्ञान लिया. एसएचओ का तबादला कर दिया गया. 'महिला थाना' में SHO के पद पर तैनात मंजू सिंह महिलाओं की सुरक्षा जागरूकता अभियान के तहत निरीक्षण पर थीं. वहां पड़ोसी गाजीपुर जिले से शीतला मंदिर पार्क घूमने के लिए एक युवक और दो युवतियां आई थीं.
इसके बाद अधिकारी ने उन लोगों को रोककर पूछताछ की. लड़कियों में से एक से उसके पिता का फोन नंबर मांगा और उसकी पहचान के लिए उनसे बात की. उन्होंने साथ आए युवक से भी पूछताछ की. लड़के ने बताया कि वह उनका भाई है. जब तक उन्होंने लड़की के पिता से बात नहीं की, उन्होंने यह मानने से इनकार कर दिया.
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वीडियो में देखा जा सकता है कि इसके बाद भी अधिकारी लड़की को बिना पेरेंट्स के सार्वजनिक स्थानों पर न घूमने की सलाह देती हैं. इसके अलावा फोन पर उसके पिता से भी कह रही हैं कि वे अपने बच्चों को बिना पेरेंट्स के बाहर न भेजें.
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वीडियो वायरल हुआ तो कई लोगों ने पुलिस पर महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर अनावश्यक दखल और मोरल पुलिसिंग का आरोप लगाया.
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने मऊ के एसपी एलमारन जी के हवाले से लिखा है कि अधिकारी का तबादला कर दिया गया है. साथ ही उन्होंने कहा, 'हम जनता के साथ उनके व्यवहार के संबंध में सभी पुलिसकर्मियों को संवेदनशील बना रहे हैं और उनकी काउंसलिंग कर रहे हैं.'
वहीं, मामले का संज्ञान लेते हुए, एडिशनल एसपी अनूप कुमार ने कहा कि कोई अपराध नहीं हुआ है. साथ ही उन्होंने पुलिसकर्मियों को आगाह किया है कि अनावश्यक सलाह और अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम करने से बचें.
उन्होंने कहा कि कुछ पुलिसकर्मी अनावश्यक सुझाव देना अपना 'नैतिक कर्तव्य' मान लेते हैं. यह भी कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर आने वाले जोड़ों को भी बिना किसी आधार के रोका नहीं जा सकता.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि भाई बालिग है जबकि बहन नाबालिग है. गाजीपुर से उनकी चचेरी बहन भी उनके साथ घूमने आई थीं.