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Vedanta Foxconn Project: महाराष्ट्र के हाथ से निकला 20 बिलियन डॉलर का सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट, विपक्ष हमलावर

मुंबई: भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी वेदांता और ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन के सेमीकंडक्टर प्लांट को महाराष्ट्र से गुजरात शिफ्ट किए जाने के ऐलान के बाद प्रदेश की राजनीति गर्म हो गई है बता दें कि वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने जैसे ही उस सेमीकंडक्टर प्लांट को गुजरात ले जाने की घोषणा की, जिसे पहले महाराष्ट्र […]

Vedanta Group
मुंबई: भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी वेदांता और ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन के सेमीकंडक्टर प्लांट को महाराष्ट्र से गुजरात शिफ्ट किए जाने के ऐलान के बाद प्रदेश की राजनीति गर्म हो गई है बता दें कि वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने जैसे ही उस सेमीकंडक्टर प्लांट को गुजरात ले जाने की घोषणा की, जिसे पहले महाराष्ट्र में स्थापित किया जाना था, महाराष्ट्र के विपक्षी दलों ने शिंदे सरकार पर हमला बोल दिया। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में तो यहां तक कह दिया कि शिंदे ने मुख्यमंत्री बनने के लिए यह डील की थी जिसके तहत यह प्रोजेक्ट गुजरात चला गया। यह पूरा विवाद इसलिए भी चर्चाओं में है क्योंकि आने वाले दिनों में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में विपक्ष का आरोप है कि इस तरह के सभी बड़े प्रोजेक्ट्स को गुजरात में ट्रांसफर कर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।

आखिर क्या है सेमीकंडक्टर और क्यों है इतना जरूरी

सेमीकंडक्टर एक ऐसा जरूरी पुर्जा है जिसका इस्तेमाल छोटे से छोटे और साधारण इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से लेकर आधुनिक और बड़े डिजिटल उपकरणों और हथियारों तक में किया जाता है। यहां तक कि बाजार में मौजूद सभी तरह के वाहनों के निर्माण में भी सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल किया जाने लगा है। इसे बनाने में सिलिकॉन और जर्मेनियम का इस्तेमाल किया जाता है। भारत को सेमीकंडक्टर विदेशों से आयात करना पड़ता है, जिसका सीधा असर देश में निर्मित होने वाले सभी इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की कीमतों पर पड़ता है। वर्ष 2021 में भारतीय सैनिक कंडक्टर बाजार का मूल्य 27.2 बिलियन डॉलर था और 2026 में इस बाजार के 64 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के लिए लगभग 19% की स्वस्थ सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है। दुनिया में 65 % सेमीकंडक्टर की सप्लाई ताइवान करता है उसके बाद इस क्षेत्र में दक्षिण कोरिया, जापान और चीन जैसे देशों की कंपनियों का वर्चस्व है।

गुजरात को ही क्यों मिला प्रोजेक्ट?

महाराष्ट्र और गुजरात; दोनों राज्यों ने प्लांट को अपने राज्य में लगाने के लिए अलग-अलग तरीके की रियायत और सब्सिडी देने का ऐलान किया था। लेकिन इस रेस में गुजरात बाजी मार ले गया। इसकी वजह है कि वेदांता समूह 1000 एकड़ जमीन को 99 सालों के लिए लीज पर लेना चाहता था। समूह की इस शर्त को गुजरात सरकार ने स्वीकार कर लिया था। गौरतलब है कि गुजरात सरकार की सेमीकंडक्टर नीति भी है जिसके तहत सक्षम लेबर बिजली जैसी सुविधाएं कम दामों पर उपलब्ध हैं।

सिर्फ एक कारण से महाराष्ट्र के हाथ से फिसला

महाराष्ट्र सरकार ने फॉक्सकॉन और वेदांत को पुणे के तेल गांव में प्रोजेक्ट लाने के लिए 39 हजार करोड़ की छूट और 1100 एकड़ जमीन तेलगांव में दे रही थी। हालांकि इसके मुकाबले गुजरात सरकार 29 हजार करोड़ की छूट दे रही थी। लेकिन गुजरात देश का इकलौता ऐसा राज्य है, जिसने सेमीकंडक्टर पॉलिसी बना रखी है, जिसके तहत इन्वेस्टमेंट को आकर्षित करने वाली स्कीम तैयार करने के लिए स्टेट इलेक्ट्रॉनिक मिशन तैयार किया है। इस मिशन के तहत आने वाली कंपनियों को जो सुविधाएं दी जानी है उसकी मान्यता बजट में दिलवाई है और साथ ही 1000 एकड़ जमीन 99 साल की लीज पर भी दी है

1.54 लाख करोड़ का है निवेश

इस पूरे प्रोजेक्ट में वेदांता और फॉक्सकॉन साझेदार हैं। वेदांता इस प्रोजेक्ट में 1.54 लाख करोड़ का निवेश करेगा जो कि आत्मनिर्भर भारत में सिलिकॉन वैली के सपने को साकार करने में मदद करेगा। वेदांता ने डिस्प्ले और सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन इको सिस्टम स्थापित करने के लिए 60:40 संयुक्त उद्यम माध्यम से फॉक्सकॉन के साथ भागीदारी की है। फॉक्सकॉन को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए असेंबली यूनिट बनाने के लिए जाना जाता है, जिनमें मोबाइल डिवाइस शामिल है। (ये खबर News24 Hindi वेबसाइट के साथ इंटर्नशिप कर रहे धनंजय सिंह ने लिखी है)


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