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Twin Tower Site: अब मंदिर बनेगा या फिर से खड़े होंगे नए घर, जानें क्यों गहरा रहा है विवाद

नोएडाः उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थिति सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट में रहने वाले लोगों ने कहा है कि वे सुपरटेक के ध्वस्त हुए अवैध ट्विन टावरों की साइट पर कंपनी द्वारा घर बनाने के प्रस्ताव पर आपत्ति करेंगे। वहीं मंदिर बनाने के प्रस्ताव पर एसोसिएशन ने कहा कि इस पर उनकी अगली बैठक में चर्चा […]

नोएडाः उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थिति सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट में रहने वाले लोगों ने कहा है कि वे सुपरटेक के ध्वस्त हुए अवैध ट्विन टावरों की साइट पर कंपनी द्वारा घर बनाने के प्रस्ताव पर आपत्ति करेंगे। वहीं मंदिर बनाने के प्रस्ताव पर एसोसिएशन ने कहा कि इस पर उनकी अगली बैठक में चर्चा की जाएगी।

नहीं माना बिल्डर तो जाएंगे कोर्टः एसोसिएशन

नोएडा के 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावरों को गिराए जाने के एक हफ्ते बाद नया विवाद सामने आया है। सुपरटेक अब इस साइट पर एक नई आवास परियोजना विकसित करना चाहता है, लेकिन एमराल्ड कोर्ट में रहने वाले लोगों का कहना है कि यदि बिल्डर द्वारा फिर से यहां आवासीय निर्माण हुआ तो वह कोर्ट जाएंगे। एमराल्ड कोर्ट रेजिडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उदय भान सिंह तेवतिया ने एक समाचार एंजेसी को बताया कि हम बिल्डर द्वारा इस तरह के किसी भी प्रयास का विरोध करेंगे। जरूरत पड़ने पर अदालत का दरवाजा भी खटखटाएंगे।

मंदिर प्रस्ताव समेत कई मुद्दों पर होगी चर्चा

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए यहां रहने वाले लोगों की जल्द ही एक बैठक आयोजित की जाएगी। बैठक के लिए कई प्रस्ताव सामने आए हैं, इनमें से एक प्रस्ताव ध्वस्त हुए ट्विन टावर की साइट पर मंदिर निर्माण का भी है। उन्होंने कहा कि हालांकि विवाद आवासीय योजना में हरियाली के लिए छोड़े गए पार्क पर निर्माण का था, क्योंकि पार्क में बिल्डर की ओर से टावर खड़े कर दिए गए थे। हमारा विचार यहां पार्क बनाने का है। वहीं कुछ लोगों ने यहां मंदिर निर्माण का भी प्रस्ताव रखा है। आगामी बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा।

हाउसिंग सोसायटी विकसित करने का है योजनाः सुपरटेक

वहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने कहा कि उनकी साइट पर एक हाउसिंग प्रोजेक्ट विकसित करने की योजना है। जरूरत पड़ने पर वे रेजिडेंट्स एसोसिएशन की अनुमति लेंगे। कंपनी की ओर से कहा गया है कि उसके पास 2 एकड़ जमीन है, जो हरियाली क्षेत्र में नहीं आती है। यदि अनुमति नहीं दी जाती है। उन्होंने कहा कि यदि अनुमति नहीं मिली तो कंपनी की ओऱ से प्राधिकरण से जमीन की रकम को वापस मांगा जाएगा। अरोड़ा ने कहा कि मौजूदा समय में जमीन की कीमत करीब 80 करोड़ रुपए है। हमने इस परियोजना में अतिरिक्त एफएआर (फर्श क्षेत्र अनुपात) की खरीद के लिए करीब 25 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया है।


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