Kedarnath Yatra Temporarily Suapended: उत्तरखंड में आज केदारनाथ यात्रा पर अस्थायी रोक लग गई, क्योंकि गौरीकुंड से एक किलोमीटर आगे छोड़ी गधेरे में भूस्खलन होने पैदल मार्ग डैमेज हो गया है, जिसके चलते केदारनाथ धाम यात्रा अस्थायी रूप से रोक दी गई है। बताया जा रहा है कि सड़क पर मलबा और पत्थर आकर गिरे, जिस वजह से कुछ यात्री बीच में ही फंस गए थे। उन्हें NDRF की टीम ने निकलने में मदद की। वहीं यात्रा पर अस्थायी रोक लगाने के बाद यात्रियों को वहीं रोक दिया गया है, जहां वे हैं। रास्ता खुलने के बाद ही यात्रियों को आगे जाने की परमिशन दी जाएगी। बता दें कि बीते दिन सोनप्रयाग के पास मुनकटिया में भूस्खलन हुआ था और यात्रा पर अस्थायी रोक लगा दी गई थी। मलबा और पत्थर सड़क पर आकर गिरे थे, जिससे रास्ता ब्लॉक हो गया था। NDRF की टीमें आपदा के समय राहत के लिए जगह-जगह तैनात हैं।
केदारनाथ यात्रा पर 2 लोगों की हो चुकी मौत
बता दें कि केदारनाथ यात्रा पर 2 लोगों की मौत हो चुकी है। दोनों यात्रियों की जान दिल का दौरा पड़ने से गई। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि जान गंवाने वाले यात्रियों का पोस्टमार्टम कराया जाएगा। गुरुवार को गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर जंगलचट्टी के पास एक यात्री बीमार हालत में मिला। चंडीगढ़ से एक गोविंद (23) पुत्र महेश की हालत खराब दी। उसे DDRF के जवान ने नजदीकी मेडिकल रिलीफ पोस्ट पर पहुंचाया, जहां से डॉक्टरों ने उसे गौरीकुंड रेफर कर दिया, लेकिन वहां पहुंचने तक वह दम तोड़ चुका था। गुजरात के गांधीनगर से आई नयना बैन (50) पत्नी दीपक कुमार पटेल भी अचानक बेहोश हो गई थी। उसे गौरीकुंड अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे भी मृत घोषित कर दिया।
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कब शुरू हुई थी केदारनाथ यात्रा?
बता दें कि केदारनाथ यात्रा चार धाम यात्रा का हिस्सा है। केदारनाथ धाम में बाबा भोले के दर्शन करने के लिए लोग इस यात्रा पर निकलते हैं। केदारनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस साल केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई 2025 की सुबह 7 बजे खुले। इसके बाद केदारनाथ यात्रा शुरू हुई। नवंबर में भाई दूज के आसपास धाम के कपाट बंद किए जाते हैं, तब तक यात्रा जारी रहेगी। वैसे केदारनाथ यात्रा पर जाने के लिए सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर महीने के बीच का होता है। नवंबर से मार्च तक केदारनाथ धाम तक जाने का रास्ता और धाम भारी बर्फबारी के कारण बंदर रहता है। वहीं धाम के कपाट बंद होने के बाद बाबा केदार की मूर्ति को उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में शिफ्ट कर दिया जाता है। बाबा केदरारनाथ का मंदिर 3583 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के तट पर बना है।