बीते दिन राम नवमी के अवसर पर संभल में नई पुलिस चौकी का उद्घाटन हुआ। इस दौरान संभल के डीएम और एसपी समेत पूरा पुलिस महकमा पूजा-पाठ और हवन करते नजर आया। आलम यह था कि महज कुछ ही घंटों में पुलिस चौकी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से वायरल होने लगे। इस पुलिस चौकी का नाम सत्यव्रत रखा गया है और इसकी दीवारों पर गीता का एक श्लोक भी नजर आ रहा है। आइए जानते हैं इस नाम और श्लोक के आखिर क्या मायने हैं?
सत्यव्रत का अर्थ
संभल दंगों में की गई पत्थरबाजी की ईटों को जोड़कर इस पुलिस चौकी को तैयार किया गया है। मगर कई लोगों के मन में सवाल है कि इस पुलिस चौकी का नाम आखिर सत्यव्रत क्यों रखा गया है? दरअसल सत्यव्रत संभल का प्रचीन नाम है। पुराणों में संभल का जिक्र सत्यव्रत के नाम से मिलता है, जिसके कारण इसे सत्यव्रत नाम दिया गया है।
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श्री कृष्ण का रथ
संभल हिंसा के महज 100 दिन में ठीक उसी जगह पर 2 मंजिला पुलिस चौकी बनकर तैयार हो गई। शाही जामा मस्जिद के सामने मौजूद सत्यव्रत पुलिस चौकी की तस्वीरें और वीडियो इंटरनेट पर आग की तरह फैल गए। इसकी दीवार पर राजस्थान का सफेद संगमरमर लगा है, जिस पर रथ की आकृति उकेरी गई है। इस रथ में अर्जुन सवार हैं और उनके सारथी भगवान कृष्ण भी मौजूद हैं। महाभारत से प्रेरित इस तस्वीर के नीचे गीता का श्लोक भी लिखा है।
गीता का श्लोक
यह श्रीमद्भगवद्गीता के चौथे अध्याय का सातंवा श्लोक है। महाभारत के युद्ध से पहले अर्जुन को गीता का ज्ञान देते हुए भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि 'यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम।। परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।'
श्लोक का अर्थ
इस श्लोक का अर्थ है कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं किसी न किसी रूप में प्रकट होता हूं। साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट होता हूं।
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