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BSP 2027 Election Strategy: 2027 चुनाव से पहले मायावती का फैसला कितना फायदेमंद?

BSP 2027 Election Strategy: बसपा प्रमुख मायावती ने आज बड़ा फेरबदल करते हुए भतीजे आकाश आनंद को कोऑर्डिनेटर के पद से हटा दिया। ऐसे में पाॅलिटिकल एक्सपर्ट्स से जानते हैं मायावती का यह फैसला कितना कारगर रहेगा?

BSP Chief Mayawati
Mayawati Political Strategy: बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज बड़ा फेरबदल किया है। उन्होंने भतीजे आकाश आनंद को सभी पदों से हटाते हुए आनंद कुमार और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को नई जिम्मेदारी सौंपी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह जीते जी किसी को भी अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं करेगी। मायावती ने यह ऐलान लखनऊ में बसपा कार्यकर्ताओं से मीटिंग में कही। बता दें कि इस एक्शन से पहले मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को अल्टीमेटम दिया था। उन्होंने कहा था बसपा का उत्तराधिकारी वही होगा जो आखिरी सांस तक जी-जान लगाकर पार्टी के लिए लड़ेगा और पार्टी मूवमेंट को आगे बढ़ाता रहे।आकाश आनंद को दरकिनार कर मायावती ने नई जिम्मेदारी पार्टी के आम कार्यकर्ता को नहीं बल्कि किसी अपने को ही दी है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि मायावती और उनकी पार्टी क्या बीजेपी और सपा को टक्कर दे पाएगी? ये भी पढ़ेंः मायावती का बड़ा फैसला! भतीजे को सभी पदों से हटाया, जानें अब किसे बनाया नेशनल को-ऑर्डिनेटर?

पार्टी की हालत खस्ताहाल

2007 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने 206 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन 2022 के चुनाव में पार्टी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली। 2022 के चुनाव में पार्टी को 12.9 प्रतिशत वोट मिले थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी की स्थिति नहीं सुधरी। 2019 के लोकसभा चुनाव में 10 सीटें जीतने वाली बसपा इस बार खाता भी नहीं खोल पाई। उसका वोट प्रतिशत 19.43 प्रतिशत से गिरकर 9.36 प्रतिशत रह गया। पारिवारिक कलह से जूझ रही बसपा को क्या इस परिवर्तन से संजीवनी मिलेगी? आइये जानते हैं पाॅलिटिकल एक्सपर्ट से।

बहिनजी का फैसला पार्टी हित में

चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और दलित विचारक प्रोफेसर सतीश प्रकाश ने कहा कि बहिन जी का यह फैसला पार्टी हित में लिया गया पूर्णतया राजनीतिक निर्णय है। इसको पारिवारिक दृष्टिकोण से देखना पूर्णतया गलत होगा। यह भी सच है कि राजनीतिक लोगों के लिए परिवार से ऊपर हमेशा संगठन और पार्टी होनी चाहिए। क्या यह निर्णय 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया है इस पर प्रोफेसर ने कहा कि इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। हां पार्टी 2027 के चुनाव से पहले सारी कमियां दूर करना चाहती है। संगठन में हमेशा उतार-चढ़ाव रहते हैं। क्या भविष्य में आकाश आनंद पार्टी में शामिल होंगे? इस पर प्रोफेसर सतीश प्रकाश ने कहा किसी भी पार्टी में परिवर्तन अस्थायी और सतत प्रकिया है। भविष्य के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। ये भी पढ़ेंः ‘जब तक जिंदा हूं तब तक कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा…’, पारिवारिक कलह के बीच मायावती का बड़ा ऐलान राजनीति विश्लेषकों की मानें तो 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले संगठन की सर्जरी और कार्यकर्ताओं के खोए हुए आत्मविश्वास को वापस जगाने के लिए जरूरी है कि मायावती को खुद मैदान में उतरना होगा। वरना स्थिति वहीं ढाक के तीन पात वाली होगी।


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