TrendingVladimir PutinIndigoAzam Khan

---विज्ञापन---

ढाई साल में महिला का 25 बार प्रसव और 5 बार नसबंदी, कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा

आगरा के सीएचसी फतेहाबाद में एक महिला के नाम पर 25 बार प्रसव और 5 बार नसबंदी करवाई गई। जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद सीएमओ ने कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

उत्तर प्रदेश के आगरा से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां CHC में डॉक्टर और कर्मचारियों ने मिलीभगत करके ऐसा फर्जीवाड़ा किया है, जिसे सुनकर हर कोई हैरत में है। सोचिए, यहां के कर्मचारियों ने एक महिला का ढाई साल में 25 बार प्रसव करवा दिया और इस दौरान पांच बार उसकी नसबंदी भी कर दी। जब ऑडिट हुआ, तो हैरान करने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया। कर्मचारियों ने जिस महिला का 25 बार प्रसव और 5 बार नसबंदी करवाया, उसके नाम पर जननी सुरक्षा योजना और महिला नसबंदी की प्रोत्साहन राशि का भुगतान भी कर दिया गया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फतेहाबाद के ऑडिट के समय यह मामला पकड़ में आया है। टीम ने तत्काल पूरे मामले से सीएमओ आगरा डॉ. अरुण श्रीवास्तव को अवगत कराया। ऑडिट में टीम ने पाया कि प्रसव और नसबंदी के नाम पर एक ही महिला को 45,000 रुपए का भुगतान कर दिया गया है।

सरकार की योजना का बंदरबांट

दरअसल, सरकार की ओर से सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव कराने वाली महिला को जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रसव पूर्व 1400 रुपये दिए जाते हैं। साथ ही, सरकारी अस्पताल में प्रसव के लिए प्रेरित करने वाली आशा कार्यकर्ता को प्रति महिला 600 रुपए का भुगतान किया जाता है। इसी तरह, आशा कार्यकर्ताओं को महिलाओं को नसबंदी के लिए प्रेरित कर सरकारी अस्पताल में नसबंदी कराने पर महिला को दो हजार रुपये और आशा कार्यकर्ता को तीन सौ रुपये दिए जाते हैं। यह धनराशि 48 घंटे के अंदर महिला के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है। [videopress sNuHyXE0] सीएचसी फतेहाबाद में फर्जीवाड़ा पकड़ में आते ही विभाग में खलबली मच गई। जानकारी मिलते ही सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव भी CHC पहुंच गए। इसके बाद उन्होंने बैठक की और मामले की विस्तृत जांच की बात कही है। सीएमओ आगरा अरुण श्रीवास्तव के अनुसार, अब जांच की जाएगी कि यह तकनीकी खामी की वजह से हुआ है या कर्मचारियों की मिलीभगत से। उन्होंने कहा कि फतेहाबाद और शमशाबाद सीएचसी पर कर्मचारियों के दबदबे को खत्म करने के लिए वह एक साल के अंदर चार अधीक्षक बदल चुके हैं। यह भी पढ़ें : 40 साल मुफ्त में रहा किराएदार, मकान मालिक को उलझाया केस में; अब कोर्ट ने सुनाया ये फरमान उन्होंने बताया कि योजना की धनराशि का समय से भुगतान का काफी दबाव रहता है, जिसकी वजह से गड़बड़ी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। सीएमओ ने कहा, "यदि जांच में कर्मचारियों की मिलीभगत पाई गई तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।"


Topics:

---विज्ञापन---