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Sirohi News: जानें कम्बल वाले बाबा का सच!, जो कैंसर, लकवा, पोलियो सहित कई लाइलाज बीमारियों के इलाज का करता है दावा 

के जे श्रीवत्सन, सिरोही: सिरोही जिले के पालड़ी-एम गांव में इन दिनों देश के कोने कोने से लोग पहुँच रहे हैं। कोई जम्मू कश्मीर से आ रहा हैं, तो कोई कर्नाटक से। कोई बिहार से आ रहा हैं तो कोई मध्यप्रदेश से। देश के लगभग सभी राज्यों से लोग इन दिनों राजस्थान के सिरोही जिले […]

कंबल वाले बाबा
के जे श्रीवत्सन, सिरोही: सिरोही जिले के पालड़ी-एम गांव में इन दिनों देश के कोने कोने से लोग पहुँच रहे हैं। कोई जम्मू कश्मीर से आ रहा हैं, तो कोई कर्नाटक से। कोई बिहार से आ रहा हैं तो कोई मध्यप्रदेश से। देश के लगभग सभी राज्यों से लोग इन दिनों राजस्थान के सिरोही जिले के पालड़ी-एम गांव पहुंच रहे हैं। दरअसल, ये लोग लाइलाज बीमारियों का इलाज करवाने के लिए एक बाबा के पास पहुंच रहे हैं। ये बाबा खुद को कंबल वाला बाबा कहलाना पसंद करता हैं। बाबा मूल रूप से गुजरात राज्य के सुरेन्द्र नगर का निवासी बताता हैं, और पिछले 13 दिनों से इसने अपना डेरा सिरोही जिले के पालड़ी-एम गांव में डाल रखा हैं। बाबा अपने इस डेरे को लाइलाज बीमारियों के इलाज शिविर बताते हैं। बाबा अपने कंबल के जादू से लकवा, पोलियो, कैंसर सहित हज़ारों बीमारियों के इलाजका दावा करता हैं। बाबा के पास इलाज करवाने आने वाले मरीज को पांच दिन यहां लगातार आना पड़ेगा, तभी उसके ठीक होने गारंटी होगी। अभी पढ़ें - BHU की होटल मैनेजमेंट परीक्षा में बीफ पर सवाल आने के बाद हंगामा, विवि की ओर से आया बड़ा बयान इसके साथ ही बाबा के इस शिविर का एक नियम ये भी हैं कि मरीज को इस टेंट में लाइन में लगकर अपने आने के हिसाब से ही जगह पर बैठना पड़ेगा, बाद में आने वाला अगर आगे बैठ कर भले ही उसने बाबा के कंबल से इलाज ले लिया पर वो ठीक नहीं होगा। बाबा की अनगिनत शर्तो का जो पालन करेगा, वहीं व्यक्ति ठीक होगा, वरना उसके इलाज की कोई गारंटी नहीं हैं। यानी आप ठीक हो गए तो बाबा की कंबल का चमत्कार और यदि नहीं हुए तो आपने कहीं ना जाने अनजाने में ही सही पर आपने बाबा की शर्तो का उल्लंघन जरूर किया है। ऐसे में उसके मरीज को पुनः सभी शर्तो का पालन करते हुए बाबा के पास इलाज के लिए आते रहना पड़ेगा।

इलाज़ करने का तरीका ऐसा कि हर किसी की निकल जाए चीख

कंबल वाले बाबा द्वारा किया जाने वाला इलाज भी गजब का हैं। बाबा के इलाज करने का तरीका ही ऐसा है कि मरीज की चीख निकलना तय है। पोलियो और लकवा से अकड़े हाथ पाव को बाबा ऐसे मरोड़ते हैं जैसे किसी भीगे कपड़े को निचोड़ा जाता है। मरीज की जांघो के बीच बाबा अपना पैर रखकर मरीज के पैरो को मरोड़ता हैं। मरीज के पैरो पर बैठकर बाबा मरीज की कमर पकडकर शरीर को मरोड़ता हैं। मरीज के हाथों को ऐसे मरोड़े जाते हैं कि जान ही हलक में आ जाए। पर इसके बावजूद लोगों का विश्वास हैं कि टूटने का नाम नहीं लेता। और सब यातनाएं सहन कर अपना इलाज करवाते हैं। ऐसा सिर्फ पुरुष मरीजों के साथ ही नहीं महिला मरीजों का भी इलाज करने का बाबा का तरीका यहीं हैं। इसके अलावा गूंगे बहरे लोगों के इलाज दोनों हाथों से एक साथ जोरदार थप्पड़ मारकर किया जाता हैं। ऐसे मरीजों को एक साथ लाइन में खड़ा किया जाता हैं, फिर बाबा एक एक मरीज के दोनों कानो के नीचे थप्पड़ मारटे हुए इलाज शुरू होता हैं। और लोग थप्पड़ खाकर बाबा के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं। बाबा की इस थप्पड़ों से छोटे बच्चों के पास रोने के अलावा कोई सहारा ही नहीं होता।

इलाज लेकर कैम्प से बाहर आने वाले कई मरीजों ने कहा "कुछ भी फर्क नहीं पड़ा"

कंबल वाले बाबा के इस शिविर का यूट्यूब पर लाइव प्रसारण किया जाता है। दो से तीन यूट्यूबर हैं जो आपने व्यूज बढ़ाने के चक्कर में बाबा के इलाज को चमत्कार बताकर पेश कर रहे हैं, जिसे देखकर कई लोग अपना इलाज करवाने के लिए यहां पहुंच रहे हैं। और वो पांच-पांच दिन यहां रहकर बाबा की शर्तो को भी पुरा कर रहे है। पर ना तो इन लोगों की बीमारी ठीक हुई और ना ही उसके बीमारी की तकलीफ में कुछ कमी हो रही हैं। जिस अवस्था में लोग यहां पहुंचे थे उसी अवस्था में उन्हें निराश घर लौटना पड़ रहा है। अभी पढ़ें - क्लासरूम में महिलाओं ने आशिक मिजाज शिक्षक का चप्पलों से उतारा भूत, फिर पुलिस ने भी लिया एक्शन

हर रोज पहुंचते हैं 15-20 हज़ार लोग, दान पात्र में रोजाना आते हैं करीब 20 लाख रूपये

वैसे तो कंबल वाले बाबा किसी भी मरीज के इलाज के बदले एक रुपया भी नहीं लेने का दावा करते हैं, पर यहां शिविर में दान पात्र अवश्य लगाए हुए हैं, सिर्फ दान पात्र ही नहीं UPI पेमेंट ट्रांसफर के लिए जगह-जगह पर क्युआर कोड़ भी लगाए गए हैं, ताकि यहाँ आने वाले लोग बाबा को दान दे सके। बाबा खुद दावा करता हैं कि यहां रोजाना करीब 15-20 हज़ार लोग आते हैं। बाबा के दावे को ही सही आंकड़ा मानते हुए केलकुलेशन करें तो यदि एक व्यक्ति इस दान पात्र में मात्र 100 रूपये भी डालता हैं तो यहां प्रतिदिन 15 से 20 लाख रूपये जमा होता हैं। वहीं यहां चल रहे भंडारे पर खर्च की बात करें तो बाबा स्वयं इस भंडारे पर एक दिन का 1 लाख रूपये खर्च बताते हैं। यानी हर दिन यहां जमा और खर्च के बाद भी 14 से 19 लाख रुपयों की बचत होती है। आखिर बाबा जब एक रुपया भी नहीं लेने का दावा करते हैं तो फिर फिर ये रकम जाती कहाँ हैं? इसके अलावा बाबा ने यहां एक स्टॉल भी लगाई है। जहाँ बाबा की तस्वीर, श्रीयंत्र, ताबीज, और नारियल बेचे जाते हैं। बाबा की तस्वीर 30 रूपये, श्रीयंत्र 120 रूपये तथा ताबीज 10 रूपये में बेचा जाता हैं। जिससे भी हर दिन यहां लाखों रूपये का मुनाफा कमाने का जरिया बनाया गया हैं। पर बाबा तो दावा करते हैं कि वो किसी से एक रूपया तक नहीं लेते हैं।

मुख्यमंत्री के सलाहकार विधायक ने किया बाबा के इस कैम्प का उद्घाटन

पालड़ी-एम गांव में लगे कंबल वाले बाबा के इस कैम्प में लोगों को आकर्षित करने के लिए राजस्थान प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार विधायक संयम लोढ़ा के जगह-जगह पर बड़े-बड़े बैनर पोस्टर लगाए गए हैं। जिसे देखकर लोग इस विश्वास के साथ यहां इलाज करवाने पहुंच रहे हैं कि जो व्यक्ति प्रदेश के मुख्यमंत्री को सलाह देने की समझदारी रखते हैं वो ही अगर इस बाबा के इस कैम्प का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं तो निश्चित ही इलाज परफेक्ट होता होगा। आठ दिन पहले जब बाबा ने इस शिविर को शुरू किया तो विधायक संयम लोढ़ा ने इसका फीता काटकर उद्घाटन किया था। उद्घाटन अवसर पर हुए समारोह में बाबा ने विधायक संयम लोढ़ा के अगले चुनाव में 17 हज़ार मतों के अंतर से जीत की भविष्यवाणी भी कर दी। जिसका परिणाम यह हुआ कि विधायक जी ने बाबा के इस कैम्प में सुविधाएं करवाने के लिए रातों रात एक ट्यूबवेल खुदवाकर उस पर हाथों हाथ बिजली का कनेक्शन भी करवा दिया। नेताजी का एक बाबा के प्रति इतना समर्पण देखकर लोग विश्वास जताते हुए बाबा के यहां इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। पर लोगों के विश्वास के साथ धोखा तो नहीं हो रहा ये ही यक्ष प्रश्न आज हर किसी के मन में भी है? Disclamer: इस लेख में बाबा के बारे में जो भी जानकारी बताई गयी है वो आँखों देखी है, लेकिन News24 ऐसे कोई भ्रामक इलाज का दावा नहीं करता है और ना ही ऐसे इलाज का समर्थन करता है। अभी पढ़ें - प्रदेश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें


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