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वसुंधरा राजे का संकट बढ़ा या कम हुआ? जानिए राजनाथ सिंह को पर्यवेक्षक बनाए जाने के सियासी मायने

Vasundhara Raje Rajasthan CM Face Rajnath Singh Observer: राजनाथ सिंह और वसुंधरा राजे के रिश्ते अब पहले से बेहतर हुए हैं।

Edited By : Pushpendra Sharma | Updated: Dec 8, 2023 18:08
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Vasundhara Raje Rajasthan CM Face Rajnath Singh Observer Political Meaning

Vasundhara Raje Rajasthan CM Face Rajnath Singh Observer: राजस्थान समेत तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की शानदार जीत के बावजूद अब तक सीएम फेस तय नहीं हो पाया है। राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को लेकर जद्दोजहद चल रही है। कहा जा रहा है कि आलाकमान लोकसभा चुनाव से पहले तीनों राज्यों में नए चेहरे चाहता है। हालांकि जब राजे गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने दिल्ली पहुंचीं, तो मीडिया से बात किए बिना ही रवाना हो गईं। इसके बाद बीजेपी ने तीनों राज्यों के लिए पर्यवेक्षक भी नियुक्त कर दिए हैं।

राजस्थान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा सांसद सरोज पांडे और पार्टी महासचिव विनोद तावड़े को पर्यवेक्षक बनाया गया है। माना जाता है कि 10 दिसंबर को विधायक दल की बैठक में ये तीन नेता भी शामिल रहेंगे। इसी दिन सीएम के नाम का ऐलान हो सकता है। शुक्रवार को बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद सियासी गलियारों में नए सीएम को लेकर चर्चा और तेज हो गई है। आखिर राजनाथ सिंह को राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाए जाने के क्या कारण हो सकते हैं और इसके सियासी मायने क्या हैं, आइए जानते हैं…

राजनाथ सिंह को राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाए जाने पर 2 थ्योरी सामने आती हैं। इसमें से एक थ्योरी के लिए पुरानी कहानी पर जाना होगा। करीब 15 साल पहले 2008 में जब राजस्थान में विधानसभा होने थे, उस वक्त शीर्ष नेतृत्व बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बदलना चाहता था।

राजनाथ सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उनकी पसंद ओमप्रकाश माथुर थे। इसके लिए उन्होंने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को फोन किया था, लेकिन उन्होंने राजनाथ का फोन ही नहीं उठाया। इससे राजनाथ नाराज हुए और बिना सहमति के ही ओम माथुर को प्रदेशाध्यक्ष बना दिया गया।

हालांकि इसके बाद चुनाव में बीजेपी के खाते में महज 78 सीटें आईं, तो वसुंधरा ने हार की जिम्मेदारी पार्टी संगठन पर डाल दी। इसके बाद मची उथल-पुथल के बाद ओम माथुर और प्रकाश चंद (संगठन मंत्री) को इस्तीफा देना पड़ा।

जब वसुंधरा राजे पर भी दबाव बढ़ने लगा तो वे 57 विधायकों के साथ दिल्ली पहुंच गई थीं। उन्होंने दबाव डाले जाने पर पार्टी छोड़ने की बात कही थी। आखिरकार राजनाथ को राजे के आगे झुकना पड़ा। ऐसे में कहा जा रहा है कि राजनाथ सिंह को पर्यवेक्षक बनाने के पीछे ये समझा जाना चाहिए कि वसुंधरा राजे राजस्थान की सीएम नहीं बनेंगी।

अब बात करते हैं दूसरी थ्योरी पर- कहा जाता है कि अब राजनाथ और राजे के बीच अब काफी अच्छे रिश्ते हैं। राजनाथ सिंह राजस्थान की राजनीति पर भी पकड़ रखते हैं। ऐसे में उन्हें पर्यवेक्षक बनाए जाने के पीछे उद्देश्य वसुंधरा राजे को नए चेहरे के लिए मनाना और बाकी विधायकों को साधे रखना है। माना जाता है कि केंद्र की राजनीति में राजे के पैरोकार नितिन गडकरी और राजनाथ सिंह ही बचे हैं। दीया कुमारी और वसुंधरा राजे के बीच होटल विवाद पर राजनाथ सिंह ने ही सुलह करवाई थी। परिवर्तन यात्रा के दौरान भी राजनाथ सिंह ने राजे की तारीफ की थी।

राजनाथ सिंह के अलावा राज्यसभा सांसद सरोज पांडे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े को भी जयपुर भेजा जा रहा है। ताकि सभी विधायकों को एकजुट रखा जा सके। यानी दोनों ही स्थिति में वसुंधरा राजे का सीएम बनना काफी मुश्किल नजर आ रहा है। हालांकि सीएम नहीं बनाए जाने पर वसुंधरा का अगला कदम क्या होगा, ये देखने वाली बात होगी।

ये भी पढ़ें: Resort Politics: वसुंधरा राजे ने बगावत की तो कितनी सीटों की पड़ेगी जरूरत, जानें पूरा समीकरण

First published on: Dec 08, 2023 06:08 PM

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