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राजनीति से रिटायर नहीं हो रहीं वसुंधरा राजे; नामांकन भरने के बाद बोलीं-ऐसा कुछ भी अपने मन में न रखें

Vasundhara Raje On Retirement: मुख्यमंत्री पद के लिए अक्सर आकांक्षी के रूप में मानी जाती राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजनीति से संन्यास लेने की बात कहकर दिनभर नई चर्चा को गर्म रखा और शाम होते-होते वह अपनी बात से पलट भी गईं।

Vasundhara Raje On Retirement: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के राजनीति से संन्यास ले लेने की बात पर दिनभर चर्चाओं का दौर रहा, वहीं शाम होते-होते वसुंधरा ने ऐसी तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया। भाजपा की झालरपाटन उम्मीदवार वसुंधरा राजे ने कहा, 'झालावाड़ मेरा परिवार है। इस परिवार में, हम बहुत सी बातें करते हैं, जिनका कोई राजनैतिक अर्थ नहीं होता है। मैं कहीं नहीं जा रहा हूं, मैंने अभी अपना नामांकन दाखिल किया है। सेवानिवृत्ति के बारे में कुछ भी अपने मन में न रखें'। < >

झालावाड़ रैली में बेटे का भाषण सुनने के बाद कही थी संन्यास की बात

बता दें कि राजस्थान में 200 सदस्यीय विधानसभा सीट के लिए चुनाव हो रहे हैं। 25 को मतदान होगा और उसके बाद 3 दिसंबर को मतगणना होगी। इस बीच शनिवार को भारतीय जनता पार्टी की झालरपाटन विधानसभा उम्मीदवार एवं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इसके बाद वह मीडिया से मुखातिब हुईं तो इस दौरान उन्हें संन्यास ले लेने की अपनी बात से किनारा करते देखा गया। इससे पहले वसुंधरा ने राजनीति से संन्यास लेने का संकेत खुद ही दिया था। झालावाड़ की रैली में राजे ने अपने सांसद बेटे दुष्यंत का भाषण सुनने के बाद कहा था, ‘मेरे बेटे की बात सुनने के बाद मुझे लगता है कि अब रिटायरमेंट ले लेना चाहिए। अब मैं रिटायर हो सकती हूं। आप सभी ने उसे अच्छे से प्रशिक्षित किया है। मुझे उसे आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं है। सभी विधायक यहां मौजूद हैं। मुझे लगता है कि उन पर नजर रखने की जरूरत नहीं है। वह इस पोजिशन में आ गए हैं कि वह अपने दम पर लोगों के लिए काम करेंगे'। यह भी पढ़ें: वसुंधरा राजे के कट्टर समर्थक यूनुस खान को क्यों छोड़नी पड़ी BJP? समझें Inside Story < >

क्या थे वसुंधरा के उस बयान के मायने?

इस बात में कोई दो राय नहीं कि वसुंधरा राजे को अक्सर मुख्यमंत्री पद की आकांक्षी के रूप में देखा जाता है, लेकिन बावजूद इसके राजनीति से संन्यास लेने जैसा बयान देकर राजनैतिक गलियारों में नई चर्चा को जन्म दे दिया। वसुंधरा राजे के बयान का मतलब समझें, उससे पहले एक पुरानी घटना का जिक्र करना जरूरी है। बात ज्यादा पुरानी नहीं है। अक्टूबर के पहले हफ्ते में पीएम मोदी जोधपुर के दौरे पर थे। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बीच दूरियां नजर आईं। जयपुर, चित्तौड़गढ़ के बाद यह तीसरा वाकया था, जब पीएम ने राजे को कोई तवज्जो नहीं दी। यह भी पढ़ें: माफ कर दीजिए, मस्जिद-मदरसा कहना था, गुरुद्वारा निकल गया…भाजपा नेता को क्यों मांगनी पड़ी माफी? इससे सियासी हलके में संदेश गया कि भाजपा राजस्थान में वसुंधरा राजे को साइडलाइन करते हुए चुनाव लड़ना चाहती है। यही वजह है कि राजस्थान में सीएम फेस कौन है, यह तय नहीं किया गया है। साफ संदेश दिया गया है कि राजस्थान में बीजेपी का चेहरा केवल कमल का फूल है। वसुंधरा राजे का नामांकन से पहले अपनी रिटायरमेंट को लेकर संकेत देना काफी गंभीर माना जा रहा था। चर्चा थी कि वसुंधरा राजे झालावाड़-बारां से सांसद बेटे दुष्यंत सिंह को अपनी राजनैतिक विरासत सौंपना चाहती हैं, इसलिए उन्होंने भरी सभा में बेटे की तारीफ की। उन नेताओं की तारीफ की जो सांसद बेटे या उनके समर्थक हैं। माना जा रहा था कि वसुंधरा राजे ने झालावाड़ की जनता के सामने इमोशनल कार्ड खेला है। यह भी पढ़ें: राजस्थान में एक मंदिर, जहां पूजा करने से पूरी होगी मनोकामना, नामांकन से पहले वसुंधरा राजे ने भी टेका माथा शाम हाेते-होते पलट गईं बात से, बोलीं-मैं कहीं नहीं जा रही झालावाड़ रैली के बाद वसुंधरा राजे ने राड़ी के बालाजी का दर्शन-पूजन किया। फिर मनसा पूर्ण हनुमान जी के दर्शन-पूजन के बाद दोपहर डेढ़ बजे वह अपनी जिंदगी का 10वां नामांकन दाखिल करने पहुंचीं और वहां से निकलने के बाद दिनभर की अटकलों पर विराम लगता नजर आया। मीडिया से मुखातिब वसुंधरा राजे ने कहा, 'झालावाड़ मेरा परिवार है। इस परिवार में, हम बहुत सी बातें करते हैं, जिनका कोई राजनैतिक अर्थ नहीं होता है। मैंने कल ऐसा (मुझे लगता है कि मैं अब रिटायर हो सकती हूं) इसलिए कहा क्योंकि बेटे दुष्यन्त को देखने के बाद, उनका भाषण सुनने के बाद और लोगों की प्रतिक्रिया देखकर मुझे खुशी हुई। एक मां के तौर पर मुझे खुशी हुई कि दोनों के बीच ऐसा समन्वय था। मैं चाहूंगी यह स्पष्ट करने के लिए कि मैं कहीं नहीं जा रही हूं, मैंने अभी अपना नामांकन दाखिल किया है। रिटायरमेंट के बारे में कुछ भी अपने मन में न रखें'।


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