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‘जश्न-ए-अलविदा’ लिखने पर क्यों मचा है बवाल? एक्शन में शिक्षा मंत्री, दिए ये आदेश

Rajasthan News : राजस्थान के बारां में एक स्कूल के सरकारी स्कूल के विदाई समारोह कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र पर उर्दू में "विदाई समारोह" की जगह "जश्न-ए-अलविदा" लिखना महंगा पड़ गया।

Rajasthan News : एक सरकारी स्कूल के विदाई समारोह कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र पर उर्दू में "विदाई समारोह" की जगह "जश्न-ए-अलविदा" लिखना महंगा पड़ गया। इसके बाद विवाद खड़ा हो गया और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने जांच के आदेश दे दिए। पूरा मामला शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के गृह जिले बारां का था, इसलिए मंत्री जी भी पूरे एक्शन में नजर आए। शिक्षा मंत्री ने प्रधानाचार्य को नोटिस जारी कर मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के अनुसार, यह महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल था, जहां के प्रधानाचार्य ने परंपरा के अनुसार सीनियर छात्रों के लिए विदाई समारोह कार्यक्रम आयोजित किया। इसके लिए आमंत्रण पत्र भी छपवाए गए और इन्हीं आमंत्रण पत्रों पर बड़े अक्षरों में "जश्न-ए-अलविदा" लिखा गया था।

हिंदू संगठनों ने जताई थी आपत्ति

बारां के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय, शाहबाद के प्रधानाचार्य द्वारा विदाई समारोह के कार्ड पर "जश्न-ए-अलविदा" लिखवाया गया था, जिस पर स्थानीय लोगों एवं हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई। विद्यालय के वार्षिकोत्सव के आमंत्रण पत्र पर धर्म विशेष की भाषा छापने को लेकर हिंदू संगठनों ने कड़ा आक्रोश जताया। यह भी पढ़ें : बीकानेर की बेटी बनीं मिसेस यूनिवर्स, एंजिला स्वामी को थाईलैंड में मिला खिताब

दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

मामला विधानसभा में भी उठाया गया था, इसलिए मामले में दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। विश्व हिंदू परिषद, शाहबाद प्रखंड के कार्यकर्ताओं ने विद्यालय के वार्षिक उत्सव के आमंत्रण पत्र में सांप्रदायिक धर्म विशेष की भाषा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। इसके विरोध में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने उपखंड अधिकारी को ज्ञापन भी दिया। ज्ञापन देने वालों में संत समाज से महात्मा फरसा वाले, सह जिला संयोजक महेश नामदेव, प्रखंड मंत्री हरीसिंह हाड़ा समेत कई लोग शामिल थे। पूछे जाने पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि यह उनका दुर्भाग्य है कि बतौर आरएसएस कार्यकर्ता, उनकी कर्मस्थली रहे शाहबाद में हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू के शब्दों का घालमेल का यह मामला सामने आया है। इसीलिए उन्होंने इसकी जांच के  आदेश दिया ताकि यह पता लगाया जा सके कि वहां के अध्यापकों को इन भाषाओं का पूरा ज्ञान है या आधे-अधूरे ज्ञान के चलते इस तरह का आमंत्रण पत्र छपवाया गया है।


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