राजस्थान में पंचायतीराज चुनावों की तैयारी तेज हो चुकी है. इसी तैयारी के बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़ा और सख्त निर्देश जारी किया है. अब मतदान से पहले पर्दानशीन महिला मतदाताओं को पहचान के लिए चेहरा दिखाना होगा. यानी पहले पहचान, फिर मतदान. निर्वाचन आयोग का साफ कहना है कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव की पहली शर्त मतदाता की सही पहचान है. अगर कोई महिला मतदाता घूंघट या बुर्के में मतदान केंद्र पर आती है, तो पहचान की प्रक्रिया अनिवार्य होगी. इसे लेकर कांग्रेस ने अपनी आपत्ति जाता दी है.
'पर्दे में या बुर्के में जाकर महिलाएं फर्जी मतदान कर देती हैं'
आपत्ति इस बात को लेकर भी क्योंकि राजस्थान के ग्रामीण इलाके में महिलाएं घुंघट के बिना बाहर ही नहीं आ सकती. ऐसे में पर्दानशीन महिलाओं के लिए बनाया गया यह नियम इन महिलाओं को भी वोट डालने से रोकेगा. राजस्थान के स्वायत शाशन मंत्री झब्बार सिंह खर्रा ने कहा कि गत दो-तीन चुनाव में निर्वाचन आयोग आंगनवाड़ी में कार्यरत महिला और चिकित्सा विभाग की महिला मतदान कर्मी गांव में ही काम करती हैं, वह सभी महिलाओं के बीच भी जाती हैं. पर्दे में या बुर्के में जाकर महिलाएं फर्जी मतदान कर देती हैं उसी की रोकथाम के लिए यह प्रावधान किया गया है. अब इसे निर्वाचन आयोग और ज्यादा सख्ती से लागू कर सकता है.
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उधर, राजस्थान महिला कांग्रेस ने इस नियम पर आपत्ति जताते हुए इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ बता दिया. तर्क दिया गया कि एक तो महिला कर्मियों को मतदान कमी के रूप में काम नियुक्त करने और ऊपर से इस तरह के भेदभाव को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अभी यह नियम आए 24 घंटे भी नहीं बीते कि कांग्रेस की महिला इकाई नहीं से वापस लेने की सरकार से मांग करते हुए चेतावनी भी दे डाली.
महिला कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने जताई आपत्ति
राजस्थान महिला कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष सारिका सिंह ने कहा, 'राज्य निर्वाचन आयोग ने संशोधित नियमों की सूची जारी की है, जिसमें आखिर में लिखा गया है कि महिला मतदानकर्मियों को यथासंभव मतदान कार्य से दूर रखा जाए. इसके अगले ही लाइन में लिखा है कि महिला मतदाताओं की पहचान के लिए पुरुष अधिकारी ड्यूटी पर होंगे. यह दोनों ही प्रावधान और संवैधानिक और अलोकतांत्रिक है. संविधान का अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है 15 महिलाओं के साथ भेदभाव निषेध करता है. निर्वाचन आयोग का स्तर का आदेश महिलाओं को कमतर करके आकने का है. मैं चाहती हूं सरकार इन दोनों संशोधनों को सूची से हटाए.'
दरअसल,इस आदेश के मुताबिक, पर्दानशीन महिला मतदाताओं की पहचान के लिए पीठासीन अधिकारी स्थानीय महिला कर्मचारी की मदद ले सकेंगे. महिला कर्मचारी की मौजूदगी में पर्दा हटवाकर पहचान की पुष्टि की जाएगी और उसके बाद ही मतदान की अनुमति मिलेगी. पंचायत चुनावों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने 14 बिंदुओं के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं. मतदान दलों के गठन से लेकर वोटर वेरिफिकेशन तक की पूरी जिम्मेदारी जिला निर्वाचन अधिकारियों को सौंपी गई है, ताकि जमीनी स्तर पर कोई चूक न हो. यही करने की पारदर्शिता के नाम पर सत्तारूढ़ बीजेपी भी इसे सही बता रही है.
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भाजपा ने क्या कहा?
राजस्थान के भाजपा प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा, 'मतदान निष्पक्ष और विवेक के आधार पर को इसलिए ऐसे आदेश दिए गए हैं. मतदान के लिए आने वाली प्रधान मशीन महिलाओं को अपने पहचान साबित करनी होती है इसमें वहां मौजूद BLO या आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सहायता ली जाएगी. यह नियम काबिले तारीफ है. यह कोई नई व्यवस्था नहीं है. यह नियमित चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा है. महिला मतदाताओं की गरिमा का पूरा ध्यान रखा जाएगा.
दरअसल, पंचायत चुनावों में फर्जी वोटिंग और पहचान को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं. निर्वाचन आयोग का यह निर्देश उसी पर सीधा प्रहार माना जा रहा है. तो संदेश बिल्कुल साफ है कि परंपरा अपनी जगह, लेकिन लोकतंत्र में वोट की ताकत पहचान के साथ ही मान्य होगी. चुनाव से पहले आया यह आदेश संकेत दे रहा है कि इस बार पंचायत चुनावों में नियम सबसे ऊपर होंगे.