समर्थक विधायक नहीं चाहते नई पार्टी बनाए पायलट
जैसे-जैसे 11 जून नजदीक आ रही है, सचिन पायलट के कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बनाने की चर्चाओं को बल मिल रहा है। खुद पायलट की ओर से इस बारे में कुछ नहीं कहा जा रहा, लेकिन उनके करीबी और कांग्रेस के बड़े नेताओं का मानना है कि अब उन्हें कांग्रेस में ही रहना पड़ेगा, वहीं कांग्रेस के लिए भी पायलट को पार्टी में बनाए रखना बेहद जरूरी है।
खास बात यह है कि पायलट के समर्थक विधायक भी नहीं चाहते कि वे कांग्रेस छोड़ें और न ही गांधी परिवार व सेंट्रल लीडरशिप पायलट का जाना अफॉर्ड कर सकती है। यही वजह है कि कर्नाटक चुनाव के बाद दिल्ली में गहलोत-पायलट का झगड़ा खत्म करने की कवायद तेज हुई है
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मौन व्रत से लेकर पदयात्रा तक
बता दें कि वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार पर कार्रवाई नहीं होने और आरपीएससी को भंग कर नए सिरे से बनाने तथा पेपर लीक के कारण युवाओं को मुआवजे की मांगों को लेकर पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले जयपुर में 15 अप्रैल को शहीद स्थल पर एक दिन का मौन व्रत रखा था।सुलह के बाद भी सरकार पर आक्रामक हैं पायलट
इस बैठक के 2 दिन बाद अपने विधानसभा के दौरे पर पहुंचे पायलट ने एक बार फिर अपनी 3 मांगें दोहराते हुए कहा कि युवाओं के मामले में किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं हो सकता। सरकार को इन 3 मांगों पर कार्रवाई करनी ही पड़ेगी। हालांकि अशोक गहलोत इशारों-इशारों में यह स्पष्ट कर चुके हैं कि इस प्रकार की मांगें मानना असंभव है। हालांकि भ्रष्टाचार के मामले पर उन्होंने कहा कि नियमानुसार कार्रवाई की गई है।---विज्ञापन---