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Jaipur: दूदू नहीं बनेगा जिला, सीएम गहलोत ने विधायक-मंत्रियों के साथ चर्चा के बाद लिया फैसला

Jaipur: सीएम अशोक गहलोत ने सोमवार को सीएम हाउस में जयपुर जिले के मंत्री-विधायकों के साथ मैराथन बैठक की। बैठक में नए जिलों से उठे विवाद को लेकर चर्चा की गई। बैठक में गहलोत ने दूदू को जयपुर देहात जिला बनाने के फाॅमूले पर अपनी सहमति दे दी। बता दें कि 25 जून को दूदू जिले […]

Jaipur: सीएम अशोक गहलोत ने सोमवार को सीएम हाउस में जयपुर जिले के मंत्री-विधायकों के साथ मैराथन बैठक की। बैठक में नए जिलों से उठे विवाद को लेकर चर्चा की गई। बैठक में गहलोत ने दूदू को जयपुर देहात जिला बनाने के फाॅमूले पर अपनी सहमति दे दी। बता दें कि 25 जून को दूदू जिले में सांभर, जोबनेर, फुलेरा को शामिल करने का फैसला लेने के बाद भारी बवाल हो गया था। ग्रामीणों ने इसके विरोध दिल्ली-जयपुर हाईवे जाम कर दिया था। इसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज कर प्रदर्शनकारियों को हटाना पड़ा था।

बैठक में ये मंत्री-विधायक हुए शामिल

बैठक में कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी, विधायक रफीक खान समेत कई नेता शामिल हुए। बैठक के बाद सीएम ने आश्वासन दिया कि जबरदस्ती किसी क्षेत्र को दूदू में शामिल नहीं किया जाएगा। लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए फैसला लिया जाएगा।

लोकसभा की तर्ज पर बनेंगे जिले

बैठक में शामिल हुए सभी विधायक-मंत्रियों ने एक सुर में कहा कि लोकसभा क्षेत्र के तर्ज पर ही जयपुर ग्रामीण और जयपुर शहर जिला बनाना चाहिए। विधायकों ने सुझाव देते हुए कहा कि दूदू, बस्सी, चाकसू, जमवारामगढ़, सांभर, फुलेरा, जोबनेर को मिलाकर नया जयपुर ग्रामीण जिला बनाया जा सकता है। विधायकों ने यह भी कहा कि ग्रामीण अपने क्षेत्र के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं।

जनभावनाओं का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी- खाचरियावास

बैठक के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि जनभावनाओं को सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है। राजधानी के टुकड़े नहीं होंगे। नगर निगम ग्रेटर के 250 वार्डों का क्षेत्र एक ही रहेगा। अगर लोग दूदू में शामिल नहीं होना चाहते हैं तो उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए ही निर्णय लिया जाएगा। वहीं कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि जोबनेर और आसपास के क्षेत्र जयपुर से अलग नहीं होना चाहते हैं। हमंे जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।


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