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गुरदासपुर में पुलिस-किसानों में टकराव, 7 गंभीर घायल; जबरन जमीन पर कब्जा करने का आरोप

दिल्ली कटरा एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन का अधिग्रहण पंजाब में किया जा रहा है, लेकिन किसानों का आरोप है कि जमीनें जबरन छीनी जा रही हैं, जिसके लिए न उचित मुआवजा दिया जा रहा है और न ही पहले सूचना दी जा रही है। इसका विरोध कर रहे किसानों का आज पुलिस से टकराव हो गया।

Police Farmers Clash
Punjab News: पंजाब के गुरदासपुर से बड़ी खबर आ रही है। यहां किसानों और पुलिस के बीच हुए टकराव में 7 किसान घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। किसानों ने दिल्ली कटरा एक्सप्रेस-वे के लिए जबरन जमीन छीनने का आरोप लगाया है। जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिलने और जमीन अधिग्रहण से पहले कोई नोटिस नहीं दिए जाने से किसान नाराज हैं। इसलिए वे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। आज जब पुलिस को लेकर अधिकारी जमीन पर कब्जा करने आए तो किसान पुलिस वालों से भिड़ गए। इस दौरान हुई झड़प में किसानों को चोटें लगी। यह भी पढ़ें:तेज प्रताप यादव को मिली जमानत, बिहार के लैंड फॉर जॉब केस से बेल का कनेक्शन

चंडीगढ़ में भी हुआ था दोनों पक्षों में टकराव

बता दें कि अब से पहले गत 5 मार्च को भी चंडीगढ़ में किसानों और पुलिस में टकराव हुआ था। किसान संगठनों ने पंजाब की भगवंत मान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। जमीन अधिग्रहण को लेकर नाराजगी जताई थी। किसानों ने 5 मार्च के 7 दिन का धरना देने का ऐलान किया था। पंजाबभर से किसानों को चंडीगढ़ धरने में पहुंचना था, लेकिन चंडीगढ़ पहुंचने से पहले ही पुलिस ने किसान नेताओं को हिरासत में लेना शुरू कर दिया था। पुलिस ने किसानों के जत्थों को रास्ते में ही रोका। इस दौरान किसान वहीं धरने पर बैठै गए थे, जहां उन्हें पुलिस के द्वारा रोका गया था। यह भी पढ़ें:‘मुस्लिम मर्द हिजाब पहनें, होली पर रंग नहीं लगेगा’; UP के मंत्री का चौंकाने वाला बयान

सरकार ने नहीं दी थी धरने की अनुमति

पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठे तो भगवंत मान सरकार बचाव में आई और कहा कि किसानों ने सरकार ने धरना देने की परमिशन नहीं ली थी। चंडीगढ़ प्रशासन ने भी किसानों को सेक्टर-34 के ग्राउंड में धरना देने की अनुमति नहीं दी थी। इसलिए पुलिस को किसानों को रोकने आदेश दिए गए थे। इसके लिए ही पुलिस ने चंडीगढ़ की सभी सीमाओं पर बैरिकेडिंग की थी। चंडीगढ़ में धरना किसान ऋण निपटान के लिए कानून बनाने, हर खेत तक नहर का पानी सुनिश्चित करने, गन्ने के बकाया का भुगतान करने और भारतमाला परियोजना के लिए जमीनों के जबरन अधिग्रहण को रोकने के लिए दिया जाना था।


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