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पत‍ि लड़ रहा चुनाव और पत्‍नी को भनक भी नहीं, ‘गुमनाम’ पार्टी को एक साल में म‍िला 55 करोड़ चंदा

Sardar Vallabhbhai Patel Party (SVPP): लोकसभा चुनाव के बीच मुंबई में तीन प्रत्याशियों के नाम चर्चा में आ गए हैं। सरदार पटेल के नाम पर बनी पार्टी के तीन उम्मीदवार मुंबई से चुनावी मैदान में हैं, जिसकी भनक उनके करीबियों को भी नहीं है। 2022 में पार्टी को 55 करोड़ से ज्यादा का चंदा मिला था।

Sardar Patel Party: लोकसभा चुनाव के दौरान कई पार्टियां चुनावी मैदान में हैं। मगर क्या आपने सरदार वल्लभभाई पटेल पार्टी (SVPP) का नाम सुना है? आम चुनाव के लिए SVPP ने मुंबई से सिर्फ तीन प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है। साथ ही SVPP सियासी गलियारों में अधिक एक्टिव नहीं है। ऐसे में करोड़ों का चंदा पाने वाली ये पार्टी आयकर विभाग की रडार पर आ गई है।

आयकर विभाग का खुलासा

दरअसल आयकर विभाग ने दो साल पहले 200 पार्टियों पर नजर गड़ाई थी। इस दौरान सभी पार्टियों को मिलने वाले चंदो और टैक्स की भी जांच की गई थी, जिसमें चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। कई पार्टियां बैंक के जरिए चंदा लेकर अपना कमीशन लेती हैं और बाकी पैसा क्लाइंट को लौटा देती हैं।

55 करोड़ का मिला चंदा

रिपोर्ट्स के अनुसार SVPP को 2022 में 55 करोड़ से ज्यादा का चंदा मिला है। इलेक्शन कमीशन में दाखिल एफिडेविट के मुताबिक SVPP के तीन प्रत्याशी मुंबई से चुनावी मैदान में हैं और तीनों ने अपनी आय जीरो दिखाई है। किसी भी उम्मीदवार के पास अपनी खुद की गाड़ी नहीं है। वहीं दो उम्मीदवारों बेघर हैं और उनके पास अपना घर नहीं है।

पत्नी ने खोली पोल

SVPP के एक प्रत्याशी कमलेश व्यास मुंबई के बोरिवली में रहते हैं। मजे की बात तो ये है कि कमलेश की पत्नी उनके चुनाव लड़ने के बारे में जानती ही नहीं हैं। 60 साल के कमलेश नॉर्थ मुंबई से SVPP के उम्मीदवार हैं मगर पत्नी को इस बार की भनक तक नहीं लगी है। पत्नी के अलावा पड़ोसी भी कमलेश के चुनाव लड़ने से पूरी तरह अनजान हैं।

बाकी 2 प्रत्याशी कौन?

कमलेश व्यास नॉर्थ मुंबई से चुनाव लड़ रहे हैं तो 38 वर्षीय महेश सावंत मुंबई साउथ सेंट्रल से SVPP के उम्मीदवार हैं। वहीं SVPP ने नॉर्थ ईस्ट मुंबई से 45 साल के भवानी चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। SVPP के फाउंडर दशरथ पारिख का कहना है कि गुजरात में हमारे 4 पार्षद हैं और हम अपना वोट शेयर बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे हम जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत रजिस्टर हो सके और इलेक्शन बॉन्ड के जरिए चंदा ले सकेंगे।  


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