Manoj Jarange Patil Hunger Strike Start: मराठों के लिए आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने एक बार फिर अपने गृहनगर जालना में भूख हड़ताल शुरू कर दी है। वे महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार के मराठा आरक्षण बिल से खुश नहीं हैं। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि वह मराठों के लिए विशेष आरक्षण की बजाय OBC कोटा में आरक्षण चाहते हैं, लेकिन शिंदे सरकार ने 10 प्रतिशत विशेष आरक्षण देकर मामला ही कुछ और बना दिया।
दूसरी ओर, महाराष्ट्र सरकार ने मराठों को आरक्षण देने के लिए जल्दबाजी में मंगलवार को विधानसभा का विशेष सत्र बनाया। उससे पहले कैबिनेट मीटिंग करके बिल के मसौदे को पास किया। फिर विधानसभा में मसौदा पेश करके बिल पास कर दिया। हालांकि मनोज जरांगे ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रयास शुरू करने का स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने इस बात को लेकर भी संदेह व्यक्त किया कि क्या आरक्षण विधेयक कानून के अनुसार होगा?
मराठों को कुनबी जाति में शामिल करने की मांग
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा के दोनों सदनों ने मराठा आरक्षण विधेयक पारित हो गया है। इसमें प्रावधान किया गया है कि एजुकेशन सेक्टर और नौकरियों में मराठों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। यह विधेयक सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम 2018 के जैसा ही है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में रद्द कर दिया था।
जरांगे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी में आरक्षण चाहते हैं। सभी मराठों को कुनबी माना जाने की मांग कर रहे हैं, जो महाराष्ट्र में एक प्रमुख जाति है और OBC कैटेगरी में आरक्षित है, लेकिन मांग पूरी नहीं होने पर जरांगे ने फिर से खाना-पीना छोड़ दिया है। बुधवार सुबह उन्होंने ड्रिप हटा दी। डॉक्टरों से इलाज कराने से भी साफ इनकार कर दिया।
राज्य पिछड़ा आयोग की सिफारिशें
राज्य पिछड़ा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि मराठा समुदाय को सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग घोषित किया जाए। संविधान के अनुच्छेद 342C और अनुच्छेद 366(26C) के तहत पिछड़े वर्ग के रूप में अधिसूचित किया जाए। दिए गए आरक्षण और इससे होने वाले फायदों की हर 10 साल में समीक्षा की जाए।
आरक्षण के लिए राज्य सरकार का प्रस्ताव
मराठा समुदाय सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा हुआ है, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 342(C) एवं अनुच्छेद 15(4), 15(5), अनुच्छेद 16(6) के तहत आरक्षण दिया जाए। इन धाराओं के तहत मराठों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने पेश किया है।