Uddhav Thackeray Raj Thackeray alliance: महाराष्ट्र की राजनीति में बुधवार को BJP के खिलाफ एक बड़ा बदलाव नजर आया. दो दशक पहले राजनीतिक रूप से अलग हो चुके ठाकरे बंधु उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक बार फिर राजनीतिक मंच पर साथ नजर आए. गठबंधन के तहत शिवसेना (UBT) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना मुंबई महानगरपालिका समेत मुंबई के आस पास के शहर के अन्य नगर पालिका के चुनाव भी संयुक्त रूप से लड़ेंगी. गठबंधन का ऐलान करते हुए ठाकरे भाइयों ने कहा कि वे मुंबई और मराठी माणूस के हितों के लिए एक हुए हैं. वहीं बीजेपी ने इस गठबंधन पर तंज कसते हुए कहा कि दोनों पार्टियां अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए साथ आई हैं. देखिए ये रिपोर्ट.
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इस ऐतिहासिक पल का गवाह पूरा ठाकरे कुनबा
इस ऐतिहासिक पल का गवाह पूरा ठाकरे कुनबा बना. दिन की शुरुआत हुई राज ठाकरे के निवास शिवतीर्थ से. उद्धव ठाकरे अपने पूरे परिवार के साथ राज ठाकरे के घर पहुंचे, जहां राज ठाकरे की मां कुंदा ठाकरे ने दोनों भाइयों की आरती उतारी. इसके बाद पूरा परिवार शिवाजी पार्क स्थित शिवसेना संस्थापक और महाराष्ट्र के कद्दावर नेता बाल ठाकरे के स्मृति स्थल पर पहुंचा. गठबंधन के औपचारिक ऐलान से पहले, दोनों भाइयों ने परिवार के साथ स्मृति स्थल पर माथा टेका और फिर साथ ही रवाना हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस स्थल की ओर. प्रेस कॉन्फ्रेंस की जगह पर माहौल पहले से ही गर्म था. दोनों पार्टियों के नेता और कार्यकर्ताओं की भारी मौजूदगी ने इस पल को और भी अहम बना दिया. मंच पर एक ओर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे मौजूद थे, जबकि पहली कतार में उनके परिवार बैठा था. सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि इस गठबंधन पर ठाकरे भाई क्या कहेंगे. औपचारिक घोषणा का ज़िम्मा राज ठाकरे ने संभाला और इसी के साथ महाराष्ट्र की राजनीति में दो दशक बाद नया अध्याय शुरू हो गया.
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पोस्टर पर बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर लगाई
ठाकरे ब्रदर्स की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मंच के पीछे लगे पोस्टर पर बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर लगाई गई. इस पोस्टर पर न तो उद्धव ठाकरे की तस्वीर लगाई गई और न ही राज ठाकरे की. दोनों पार्टी के चुनावी चिह्न के बीच में बालासाहेब ठाकरे की फोटो को लगाया गया. इस दौरान उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कहा कि यह गठबंधन सिर्फ चुनावी समझौता नहीं, बल्कि साथ मिलकर लड़ने और साथ खड़े रहने की शपथ है. उद्धव ने कहा, “हम साथ रहने के लिए ही एकजुट हुए हैं. मुंबई या महाराष्ट्र पर किसी ने टेढ़ी नज़र डाली, तो उसकी राजनीति खत्म कर देंगे. यही संकल्प लेकर हम साथ आए हैं. भाजपा पर निशाना साधते हुए उद्धव ने याद दिलाया कि विधानसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने यह गलत प्रचार किया था कि कटेंगे तो बटेंगे’. उद्धव ने कहा, अब हम मराठी लोगों से कहना चाहते हैं कि अगर अब भी चूक गए, तो खत्म हो जाओगे. अगर आपस में फूट पड़ गई, तो पूरी तरह मिट जाओगे. उद्धव ने मराठी अस्मिता पर जोर देते हुए कहा कि मराठी माणूस किसी के रास्ते में नहीं आता, लेकिन अगर कोई उसके रास्ते में आ गया तो फिर वह उसे वापस भी नहीं जाने देता.
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किन चुनावों में एक साथ उतरेगा ठाकरे बंधुओं का गठबंधन
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे, दोनों भाई अब सिर्फ मुंबई महानगरपालिका ही नहीं, बल्कि मुंबई महानगर क्षेत्र के आसपास की प्रमुख नगरपालिकाओं ठाणे, मीरा-भाईंदर, कल्याण-डोंबिवली और नवी मुंबई के चुनाव भी साथ मिलकर लड़ेंगे. इसके अलावा नासिक और पुणे जैसे बड़े शहरों में भी यह गठबंधन संयुक्त रूप से मैदान में उतरेगा. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ठाकरे भाइयों ने दावा किया कि मुंबई का अगला मेयर मराठी ही होगा और वह उनके गठबंधन से ही आएगा. यह बयान उनके गठबंधन की राजनीतिक रणनीति और मराठी अस्मिता पर दिए गए जोर को साफ दिखाता है. गठबंधन के ऐलान से दोनों पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश दिखाई दिया|
ठाकरे बंधुओं के गठबंधन पर क्या बोले मुख्यमंत्री
वहीं इस गठबंधन की गूंज भाजपा खेमे में भी साफ दिखाई दी. गठबंधन की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तीखा तंज कसा. फडणवीस ने कहा कि दोनों पार्टियां अस्तित्व के संकट से जूझ रही हैं, इन पार्टियों ने बार-बार अपनी भूमिकाएं बदलकर लोगों के बीच अविश्वास पैदा किया है, इन्होंने तुष्टिकरण की राजनीति कर अपना वोटबैंक खो दिया है. इनके साथ आने से कौन सा फर्क पड़ने वाला है. अगर ये अपना अस्तित्व बचाने के लिए साथ आ रही हैं तो ये चुनाव नहीं जीत सकते. दोनों भाईयों की अब कोई विचारधारा नहीं बची है, ये सिर्फ अवसरवादिता की राजनीति कर रहे हैं.
चुनावी मैदान में कितना टिकेगा समीकरण
ठाकरे भाइयों का दो दशक बाद साथ आना महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है. जहां शिवतीर्थ से लेकर शिवाजी पार्क तक परिवार की एकजुटता की तस्वीर दिखाई दी, वहीं राजनीतिक मंच पर यह गठबंधन आने वाले चुनावी समीकरणों में नई हलचल पैदा करने वाला है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मराठी अस्मिता और पारिवारिक एकता के नाम पर बना यह नया गठबंधन मतदाताओं को कितना प्रभावित करता है, और भाजपा के प्रहारों के बीच यह समीकरण चुनावी मैदान में कितना टिक पाता है.
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