महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र इन दिनों कई राजनीतिक संकेतों से भरपूर है, लेकिन बुधवार का दिन खासा चर्चा में रहा। एक ऐसी तस्वीर सामने आई जिसने राज्य के राजनीतिक समीकरणों में संभावित बदलावों की सुगबुगाहट तेज कर दी है। बुधवार को विधान भवन की लॉबी में एक दिलचस्प दृश्य देखने को मिला। शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस विधान भवन के लॉबी में आमने-सामने आ गए। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को देखा, मुस्कुराए और सम्मान पूर्वक अभिवादन किया। यह भले ही चंद सेकंड का लम्हा रहा हो, लेकिन उस क्षण की गर्मजोशी ने राजनीतिक हलकों में कई सवाल खड़े कर दिए।
सदन के भीतर व्यंग्य, लेकिन सौहार्द भी
विधानसभा में चर्चा के दौरान भी दोनों नेताओं के बीच शब्दों का हल्का-फुल्का आदान-प्रदान हुआ, जिसमें राजनीतिक तंज भी शामिल थे लेकिन लहजा सहज और मैत्रीपूर्ण था। सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना फडणवीस का वह बयान जिसमें उन्होंने हंसी-हंसी में उद्धव ठाकरे को सत्ता में वापसी का ‘ऑफर’ दे डाला। फडणवीस ने कहा, “उद्धवजी को 2029 तक कुछ करना नहीं है। हमारा विरोधी पक्ष में आने का कोई स्कोप नहीं, लेकिन आपके यहां आने का हम जरूर विचार कर सकते हैं वो भी एक अलग तरीके से।” इस बयान ने राजनीतिक विश्लेषकों को काफी मसाला दे दिया।
फोटो फ्रेम में दूरी, दिलों में दरार
इसके बाद विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे के एमएलसी कार्यकाल के समापन पर आयोजित फोटो सेशन में एक और अहम दृश्य नजर आया। विधानभवन के परिसर में फोटोसेशन चल रहा था| आगे की कतार में मुख्यमंत्री फडणवीस, उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, अजित पवार, स्पीकर राहुल नार्वेकर बैठे थे तभी वहा उद्धव पहुंचे। उनके वहां पहुंचने पर सामने की कतार में बैठे नेताओं में हलचल सी मच गई। स्पीकर राहुल नार्वेकर और मुख्यमंत्री फडणवीस खड़े हुए और मुस्कुराकर उद्धव को सीट ऑफर की।
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे का हुआ सामना
असली नजारा तब सामने आया जब उद्धव ठाकरे का आमना-सामना एकनाथ शिंदे से हुआ। शायद जून 2022 की बगावत के बाद पहली बार दोनों नेताओं इतने करीब आये लेकिन दोनों ने एक-दूसरे को अनदेखा किया। उद्धव को नीलम गोर ने शिंदे के बगल की सीट ऑफर की। उद्धव ने वहां बैठने से परहेज किया और एक सीट छोड़कर बैठे। एक ही फ्रेम में उद्धव और शिंदे थे, लेकिन दूरी साफ झलक रही थी।
सियासी गलियारों में उठे सवाल
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या उद्धव ठाकरे और भाजपा के बीच फिर से समीकरण बन रहे हैं? भाजपा नेताओं के प्रति उद्धव की सौम्यता, फडणवीस के ऑफर और उप मुख्यमंत्री शिंदे की अलग-थलग मौजूदगी ने इन सबके संकेत साफ हैं कि राजनीतिक तालमेल की जमीन हिल रही है। महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर करवट लेने को तैयार दिख रही है। क्या नई राजनीतिक खिचड़ी पक रही है? यह आने वाला समय बताएगा, लेकिन सियासी गलियारों में हलचल तेज हो चुकी है।