ग्वालियर के प्रसिद्ध जयविलास पैलेस के अनुभव को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया साझा, जानिए कमेंट बुक में क्या लिखा
President Draupadi Murmu Jai Vilas Palace
Gwalior News: महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पहली बार ग्वालियर के दौरे पर पहुंची। जहां उन्होंने सिंधिया महल यानि जयविलास पैलेस का भी दौरा किया। इस दौरान सिंधिया परिवार ने उनका स्वागत किया। जयविलास पैलेस में एक कमेंट बुक है, जिसमें यहां आने वाले मेहमान अपना अनुभव लिखते हैं। राष्ट्रपति ने भी अपना अनुभव शेयर किया है।
शाही स्वागत से खुश नजर आईं महामहिम
ग्वालियर पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जयविलास पैलेस में हुए शाही स्वागत से खुश नजर आईं। उन्होंने जय विलास पैलेस की कमेंट बुक में वहां के अनुभव को खास बताया है। राष्ट्रपति ने कमेंट बुक में लिखा कि 'संग्रहालय तथा विभिन्न दीर्घाओं को देखकर रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई हमारे देश की परंपराओ और धरोहरों का सुंदर परिचय मिला परिसर संग्रहालय तथा सभी स्थानों की देखरेख और रखरखाव में सुरुचि संपन्नता झलकती है मैं इस प्रभावशाली प्रबंधन से जुड़े सभी लोगों की सराहना करती हूं स्नेह तथा ऊर्जा से युक्त आतिथ्य के लिए मैं धन्यवाद देती हूं।'
परंपरागत तरीके से हुआ स्वागत
ग्वालियर के जयविलास पैलेस आने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का 'लोक एवं शास्त्रीय नर्तकों ने परंपरागत तरीके से स्वागत किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने महाराजा जीवाजीराव सिंधिया की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर पुष्प अर्पित किए। राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पुष्पांजलि दी। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया ने राष्ट्रपति को समृद्धशाली और गौरवशाली मराठा इतिहास के बारे में उन्हें बताया। साथ ही मानचित्र के जरिये वर्ष 1758 में मराठा साम्राज्य के विस्तार की जानकारी दी। राष्ट्रपति ने मराठा इतिहास और संस्कृति से जुड़ी कलाकृतियों को देखा।'
राष्ट्रपति ने बच्चों से की मुलाकात
इस दौरान राष्ट्रपति ने संग्रहालय के अवलोकन के दौरान स्कूली बच्चों से भेंट कर उन्हें टॉफी बांटी और उनसे बातचीत भी की। महामहिम ने दिव्यांग बालकों से भी बातचीत की। उन्होंने दरबार हॉल में गणमान्य नागरिकों से भी बातचीत की। राष्ट्रपति ने संग्रहालय में लोक कला एवं शिल्प प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। लोक कलाकारों से उनके कला-शिल्पों और कला के बारे में जानकारी प्राप्त की। हैंडलूम पर साड़ी बुन रहे बुनकर, लोक-चित्रकार, लकड़ी की कलाकृतियाँ, माटी के बर्तन बनाने वाले कलाकार की कलाकृतियों की सराहना की, पिछले 60 वर्षों से सिंधिया राजवंश की पगड़ी बांधने वाले कलाकार मोहम्मद रफीक अहमद से भेंट कर उसकी कला को भी सराहा।
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