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MP मंत्री सारंग ने बताई अंतर्राष्ट्रीय वन मेले की खासियत, बताया कैसे खुलेंगे समृद्धि के द्वार

10th International Forest Fair: भोपाल के लाल परेड मैदान आयोजित '10वें अंतरराष्ट्रीय वन मेले' के समापन अवसर पर सम्मिलित होकर मेले में लगी प्रदर्शनियों का अवलोकन किया।

10th International Forest Fair
10th International Forest Fair: एमपी मंत्री सारंग लाल परेड ग्राउण्ड में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के समापन समारोह को संबोधित किया। मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय वन मेला वनों, वन उत्पादों के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के साथ ही दूरस्थ अंचलों के ग्रामीणों को सतत आजीविका के साधन उपलब्ध कराने का महत्वपूर्ण मंच है। वन मेले से लघु वनोपजों के संग्रहण और विक्रय के नए अवसर मिलते हैं, जो विक्रय श्रृंखला के निर्माण में सहायक होते हैं। मेले में वैद्यों द्वारा आयुर्वेद का ज्ञान देने के साथ वन से प्राप्त जड़ी-बूटियों को प्रदर्शित किया जाता है। मंत्री सारंग ने कहा कि भारतीय परम्परा में प्रकृति के साथ ज्ञान और व्यवहार अद्भुत के साथ-साथ आश्चर्यजनक रहा है। उन्होंने सहकार से समृद्धि के साथ संस्कार से सहकार की बात कही। मंत्री सारंग ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय वन मेले को और अधिक भव्यता प्रदान की जायेगी। उन्होंने कहा कि वनोपज के संग्रहण और विक्रय में समितियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वनांचलों में रहने वालों के सशक्तिकरण के लिए सहकार बहुत जरूरी है। इससे ही वनों में रहने वालों का आर्थिक सशक्तिकरण होगा। मंत्री सारंग ने कहा कि साल 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के रूप में मनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश को सशक्त बनाने के लिये सहकार आंदोलन चलाया जायेगा। सहकार आंदोलन से सशक्त समाज का निर्माण होता है। मंत्री सारंग ने अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के सफल आयोजन पर बधाई दी। उच्च शिक्षा एवं आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का भाव, भारतीय समाज की सभ्यता और विरासत है। मंत्री परमार ने कहा कि वन मेला भारतीय सम्पदा, सभ्यता एवं ज्ञान परम्परा को लगातार आगे बढ़ाने के संकल्प का अच्छा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि वन मेला का उद्देश्य मात्र प्रदर्शन नहीं, बल्कि जीवन पद्धति का व्यापक दृष्टिकोण है। आयुर्वेद भारत की पुरातन चिकित्सा पद्धति है, जो वन औषधियों पर आधारित है। हमारे देश में कृषि के बाद बड़ी आबादी आजीविका के लिये वनोपज पर ही निर्भर है। उनका उद्देश्य वनोपज का दोहन नहीं, बल्कि अपनी जरूरत अनुसार उपयोग के साथ वनों का संरक्षण करना भी है। मंत्री परमार ने कहा कि हमारे पूर्वज वनस्पती का महत्व जानते थे, इसलिए प्रकृति के संरक्षण के भाव से परम्परा एवं मान्यताएं स्थापित कीं। उन्होंने कहा कि प्रकृति के अंग नदी, पेड़, पहाड़ और सूर्य आदि समस्त के प्रति कृतज्ञता का भाव इनके संरक्षण और लोक कल्याण निहित हैं। मंत्री परमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आयुर्वेद का आगे बढ़ाने का संकल्प जन-आंदोलन बन रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाला समय आयुर्वेद का है। ये भी पढ़ें-  365 दिन में से 127 दिन रहेगी छुट्टी; मध्य प्रदेश में साल 2025 की सरकारी छुट्टियों का कैलेंडर रिलीज


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