Mohan Yadav Cabinet Ministers : मध्य प्रदेश में 28 भाजपा नेताओं ने आज मंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने नए मंत्रियों को शपथ दिलाई। इनमें से 18 कैबिनेट मंत्री, छह राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और चार राज्य मंत्री हैं।
अपनी नई कैबिनेट को लेकर मुख्यमंत्री यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम राज्य की बेहतरी के लिए काम करेंगे। इस रिपोर्ट में जानिए मोहन यादव की कैबिनेट के नए मंत्रियों के बारे में।
इन नेताओं को मिला कैबिनेट मंत्री का पदप्रह्लाद पटेल: ओबीसी वर्ग से आने वाले प्रह्लाद पटेल नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। पांच बार सांसद रहे पटेल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं।
कैलाश विजयवर्गीय: इंदौर-1 विधानसभा क्षेत्र से विधायक कैलाश विजयवर्गीय भी मोहन यादव की कैबिनेट में शामिल हुए हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में भी मंत्री रहे थे।
गोविंद सिंह राजपूत: सुरखी से विधायक गोविंद सिंह राजपूत को भी मंत्री पद मिला है। उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया का करीबी माना जाता है। जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का हाथ थामा था तब राजपूत भी उनके साथ आ गए थे।
प्रद्युम्न सिंह तोमर: सिंधिया के खेमे के ही एक और नेता प्रद्युम्न सिंह तोमर को भी मंत्री पद दिया गया है। तोमर ग्वालियर से विधायक हैं। इससे पहले वह राज्य सरकार में ऊर्जा मंत्री का पद संभाल चुके हैं।
विश्वास सारंग: नरेला विधानसभा सीट से लगातार चौथी बार जीत हासिल करने वाले विश्वास सारंग ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। वह शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में भी मंत्री रह चुके हैं।
इंदर सिंह परमार: शुजालपुर से विधायर इंदर सिंह परमार को राज्य की कैबिनेट में जगह मिली है। चौहान के मुख्यमंत्री रहते हुए वह स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री रहे थे। वह इस बार तीसरी बार विधायक बने थे।
संपतिया उइके: अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाली संपतिया उइके पहली बार की विधायक हैं। उन्हें भी कैबिनेट मंत्री का पद मिला है। उइके ने विधानसभा चुनाव में मंडला से जीत हासिल की थी।
तुलसी सिलावट: सांवेर सीट से विधायक तुलसी सिलावट शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ के कार्यकाल में भी मंत्री रह चुके हैं। पांच बार विधायक रहे सिलावट सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए थे।
चेतन्य काश्यप: रतलाम से तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले चेतन्य काश्यप को मंत्री बनाया गया है। उन्होंने पहले की तरह इस बार भी विधायक को मिलने वाली सुविधाएं और वेतन आदि न लेने का ऐलान किया है।
राकेश शुक्ला: मेहगांव से जीत हासिल करने वाले राकेश शुक्ला तीसरी बार विधायक बने थे। उन्होंने पहली बार 1998 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी।
हेमंत पटेल: बैतूल विधानसभा क्षेत्र से विधायक हेमंत पटेल बेतुल लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं। वह राज्य में पार्टी के कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।
ऐंदल सिंह कंसाना: ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे के नेता ऐंदल सिंह कंसाना को मंत्री पद मिला है। उन्होंने सुमावली सीट से जीत हासिल की थी। 2018 तक वह कांग्रेस में हुआ करते थे।
नारायण सिंह कुशवाहा: शिवराज सिंह चौहान की सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे नारायण सिंह को मोहन यादव की कैबिनेट में भी जगह मिली है। वह ग्वालियर दक्षिण सीट से विधायक हैं।
राव उदय प्रताप सिंह: गाडरवाडा सीट से विधायक उदय प्रताप सिंह होशंगाबाद लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में वह होशंगाबाद से रिकॉर्ड पांच लाख से ज्यादा वोट के अंतर से जीते थे।
विजय शाह: हरसूद से विधायक विजय शाह इस बार 9वीं बार राज्य की कैबिनेट में शामिल हुए हैं। वह एकमात्र आदिवासी नेता हैं जो लगातार आठ बार एक ही सीट पर विधायक रहे हैं।
निर्मला भूरिया: शिवराज सिंह चौहान की सरकार में भी मंत्री रह चुकीं निर्मला भूरिया को मोहन यादव की कैबिनेट में भी जगह मिली है। वह पेटलावद सीट से पांचवीं बार की विधायक हैं।
करण सिंह वर्मा: इछावर से आठ बार विधायक रहे करण सिंह वर्मा को चौथी बार प्रदेश सरकार में मंत्री पद दिया गया है। यहां से नौ बार चुनाव लड़ चुके वर्मा को 1985 के बाद केवल 2013 में हार का सामना करना पड़ा था।
नागर सिंह चौहान: अलीराजपुर से विधायक नागर सिंह चौहान चौथी बार के एमएलए हैं। वह पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
ये नेता बने राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
कृष्णा गौर: गोविंदपुरा सीट से जीतने वाली कृष्णा गौर को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद मिला है। वह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू हैं। इस बार उन्होंने एक लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी।
धर्मेंद्र लोधी: जबेरा से विधायक धर्मेंद्र लोधी ने 2018 के चुनाव में भी यहां जीत हासिल की थी। इस बार जीत हासिल करने के बाद विधानसभा में उन्होंने संस्कृत में शपथ ली थी जिसका वीडियो खूब वायरल हुआ था।
दिलीप जायसवाल: कोतमा विधानसभा से विधायक दिलीप जायसवाल को भी मंत्री का दर्जा दिया गया है। उन्होंने 2008 में इसी सीट से पहली बार विधानसभा चुनाव जीता था।
गौतम टेटवाल: सारंगपुर से दूसरी बार विधायक बने गौतम टेटवाल अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं। वह राजगढ़ जिले के पहले दलित नेता हैं जिन्हें मंत्री पद दिया गया है।
नारायण सिंह पवार: ब्यावर विधानसभा से विधायक नारायण सिंह पवार को मंत्री बनाया गया है। इससे पहले 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें इसी सीट पर हार का सामना करना पड़ा था।
लखन सिंह पटेल: पथरिया विधानसभा से विधायक लखन सिंह पटेल पहली बार साल 2013 में विधायक बने थे। लखन सिंह पटेल को केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल का करीबी माना जाता है।
इन नेताओं को मिला राज्य मंत्री का दर्जा
प्रतिमा बागरी: अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाली प्रतिमा बागरी पहली बार विधायक बनी हैं और उन्हें मंत्री पद भी दिया गया है। उन्होंने रैगांव विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी।
राधा सिंह: चितरंगी से विधायक राधा सिंह अनुसूचित जनजाति वर्ग से आती हैं। उनके ससुर जगन्नाथ सिंह भी मंत्री थे। सिंगरौली को जिले का दर्जा मिलने के बाद राधा सिंह वहां की पहली जिला पंचायत अध्यक्ष बनी थीं।
दिलीप अहिरवार: चंदला विधानसभा से विधायक दिलीप अहिरवार को मंत्री पद दिया गया है। उन्होंने 15,491 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी।
नरेंद्र शिवाजी पटेल: उदयपुरा से पहली बार विधायक बने नरेंद्र शिवाजी पटेल को भी मंत्री पद मिला है। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े रहे हैं। चुनाव में उन्होंने 42 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी।