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मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को कौन सी जिम्मेदारी देगी भाजपा, क्या समर्थकों को मिल पाएगी मत्रिमंडल में जगह?

Scindia supporters responsibility in MP Cabinet: सीएम मोहन यादव के शपथ लेते ही अब पूरा ध्यान ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेताओं के भविष्य पर केंद्रित हो गया है, क्योंकि इस चुनाव में वे कहीं न कहीं सीएम पद की रेस में थे।

Jyotiraditya Scindia
Scindia supporters responsibility in MP Cabinet: मध्य प्रदेश के नवनिर्वाचित सीएम मोहन यादव के शपथ लेते ही अब पूरा ध्यान ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेताओं के भविष्य पर केंद्रित हो गया है, क्योंकि इस चुनाव में वे कहीं न कहीं सीएम पद की रेस में थे। वहीं, सिंधिया भाजपा विधायक दल में उनके समर्थकों की ताकत कम होने के बाद मंत्रिमंडल गठन में कितना प्रभाव डाल पाएंगे। क्या वह राज्यसभा में अपना कार्यकाल शेष रहने के बावजूद 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। इस तरह के कई सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

दिग्गजों का क्या होगा?

हालांकि, उनके कुछ वफादार इस चुनाव में हार गए, लेकिन सिंधिया के पूर्व गढ़ सहित ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में बीजेपी के उल्लेखनीय प्रदर्शन ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाया है। वहीं, मुख्यमंत्री पद का मुद्दा सुलझने के साथ ही यह सवाल पूछा जा रहा है कि पार्टी आलाकमान के आदेश पर राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने वाले दिग्गजों और साथ ही राज्य विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेताओं के लिए आगे क्या होगा?

सिंधिया 2020 में बीजपी में हुए थे शामिल

गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया 2020 में अपने 22 कांग्रेस विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। इन विधायकों में बिसाहूलाल सिंह जैसे एक या दो को छोड़कर सभी उनके कट्टर वफादार थे। वहीं, 2023 के विधानसभा चुनाव में, भाजपा ने उनके 16 वफादारों को टिकट दिया था और उनमें से 8 हार गए, जिनमें इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसौदिया, सुरेश धाकड़, जसपाल सिंह "जज्जी", हिरेंद्र सिंह बंटी बाना, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, कमलेश जाटव और रघुराज कंसाना शामिल हैं। यह भी पढ़ें- MP में मंत्रिमंडल का विस्तार कब? कौन होगा शामिल, 18 वरिष्ठ विधायकों की टिकीं मंत्री पद पर निगाहें

चुनाव जीतने वाले सिंधिया समर्थक

वहीं, चुनाव जीतने वाले विधायकों में गोविंद राजपूत, मनोज चौधरी, तुलसी सिलावट, पद्युमन सिंह तोमर, मोहन सिंह राठौड़, बृजेंद्र सिंह यादव, प्रभुराम चौधरी और श्रीकांत चतुर्वेदी शामिल हैं। हालांकि, सिंधिया के गढ़ ग्वालियर और चंबल में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन रहा है, जहां वह 34 में से 19 सीटें जीतने में सफल रही है, जबकि 2018 के चुनाव में 7 सीटें थीं, जब सिंधिया कांग्रेस के मुख्य प्रचारक थे और वहां से सीएम पद के शीर्ष दावेदार भी थे। पार्टी ने, अपने कई समर्थकों के चुनाव हारने के बावजूद, निश्चित रूप से सिंधिया और उनके समर्थकों का आत्मविश्वास बढ़ाया है।

गुना और शिवपुरी में शानदार प्रदर्शन

हालांकि, विधानसभा चुनाव जीतने वाले अधिकांश सिंधिया समर्थक ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से हैं। वहीं, राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में भाजपा के अच्छे प्रदर्शन का कुछ श्रेय सिंधिया को जाएगा, जिन्होंने क्षेत्र में प्रचार अभियान चलाया था। इस दौरान भाजपा ने गुना और शिवपुरी जिले में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, ये दो जिले जो उनके गुना लोकसभा क्षेत्र का गठन करते हैं, उन्हें भी 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सिंधिया के लिए अच्छा संकेत होना चाहिए।  


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